राज्य में शराब टेंडर घोटाला मामले में झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में हाई कोर्ट के स्वत: संज्ञान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गयी है। इस पर सुनवाई अभी लंबित है। इसलिए समय दिया जाए। कोर्ट ने सरकार के अनुरोध को स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई जून महीने में तय की है।
वहीं, इससे पहले की सुनवाई में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की हस्तक्षेप याचिका को स्वीकार करते हुए आवेदक उमेश कुमार और उनके वकील राजीव कुमार का नाम केस से हटाते हुए मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था। जिसमें राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि इस मामले में आवेदक और उनके वकील राजीव कुमार की साख अच्छी नहीं है। मामले में कहा गया है कि राज्य के जिलों में शराब की थोक बिक्री के टेंडर में भाग लेने के लिए 25 लाख रुपये की नॉन रिफंडेबल राशि तय की गई थी। राज्य के विभिन्न जिलों में शराब की थोक और खुदरा बिक्री का टेंडर लेने के लिए कोलकाता से झारखंड के तीन जिलों के अलग-अलग खातों में करोड़ों रुपये भेजे गये थे। यह उन कंपनियों के खातों में भेजा गया, जिनके खातों में महज दो से चार हजार रुपये ही रहते थे। इस पैसे का इस्तेमाल राज्य के अन्य जिलों में शराब के थोक टेंडर के लिए 25-25 लाख रुपये इकट्ठा करने के लिए किया गया था।