महिला केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत वाली खबर है। दरअसल केंद्र की मोदी सरकार ने महिला सरकारी कर्मचारी को फैमिली पेंशन के लिए नॉमिनेट के बाबत सौगात दी है। जिसके तहत अब सरकारी महिला कर्मचारी अपने बच्चे को फैमिली पेंशन के लिए नॉमिनेट कर सकेगी। इस बाबत इंटर-मिनिस्ट्रीयल कंसलटेशन ने तय किया है कि अगर किसी सरकारी महिला कर्मचारी या महिला पेंशनभोगी की तलाक की कार्यवाही कोर्ट में लंबित, सरकारी महिला कर्मचारी या महिला पेंशनभोगी ने अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा, दहेज प्रतिषेध अधिनियम अथवा भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज किया है, तो ऐसी सरकारी महिला कर्मचारी या पेंशनभोगी अपनी मृत्यु के बाद अपने पात्र बच्चे अथवा बच्चों को पारिवारिक पेंशन दिए जाने के लिए अपने पति से पहले वरीयता देने की अनुरोध कर सकती है। यानी ऐसे मामलों में बच्चों को फैमिली पेंशन देने में तरजीह देने के लिए सरकार ने नियम बनाये हैं।
क्या है पूराने नियम
पुराने नियम के तहत कोई भी महिला सरकारी कर्मचारी पति को ही नॉमिनेट कर सकती थी। जिसमें सरकारी कर्मचारी के निधन के बाद सबसे पहले फैमिली पेंशन स्पाउज (पति/पत्नी) को ही मिला करता था। उसके बाद ही बच्चों को फैमिली पेंशन मिलने की बारी आती थी। कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के अनुसार सीसीएस (पेंशन) रुल्स, 2021 के नियम 50 के (8) और सब-रुल (9) के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार यदि किसी मृत सरकारी कर्मचारी, पेंशनभोगी के पति अथवा पत्नी परिवार में है, तो पहले पति या पत्नी को पारिवारिक पेंशन दी जाती है। मृतक सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी के पति या पत्नी पारिवारिक पेंशन के लिए अपात्र अथवा उनकी मृत्यु हो जाती है ,उसके बाद ही बच्चे एवं परिवार के अन्य सदस्य पारिवारिक पेंशन के लिए हकदार होते हैं।