धोखाधड़ी कर किसी और की जमीन बेचने से जुड़े 14 साल पुराने विवाद को कोर्ट के बाहर बिना केस किए डालसा कार्यालय में आपसी समझौते से सुलझा लिया गया है। इस केस को सुलझाने में डालसा के एलएडीसी के डिप्टी चीफ राजेश कुमार सिन्हा के साथ पक्षकार के वकील इंद्र भूषण कुंवर की महत्वपूर्ण भूमिका रही। अरगोड़ा थाना के गंगा नगर हरमू निवासी गोपाल जायसवाल ने अपनी पत्नी पिंकी देवी के नाम पर 14 मार्च 2009 को दो कट्ठा दो छटाक जमीन लगभग तीन लाख रुपए में एकरारनामा के साथ खरीदी थी। यह जमीन मो तारिफ नामक व्यक्ति ने बेची और अग्रिम के रूप में एक लाख रुपए लिया था। जमीन लेने के बाद पिंकी देवी मकान बनाकर रहने लगी। धीरे-धीरे करके पिंकी ने दो लाख चार हजार रुपए का भुगतान तारिफ को कर दिया। लेकिन जमीन की रजिस्ट्री नहीं कराई। इसी बीच पिंकी के पते पर लीगल नोटिस आया। जिसमें खरीदी गयी जमीन किसी आनंद कुजूर नामक व्यक्ति अपना बता रहा है। जब इस जमीन की जांच कराई तो पता चला कि यह जमीन नथुवा उरांव ने 1940 में शेख फकीर से खरीदी थी। जो कि आनंद कुजूर का वशंज है। तब उसको (पिंकी) पता चला कि वह ठगी की शिकार हो चुकी है। मामला थाने पहुंचा। जहां कहा गया कि विवाद को न्यायालय में जाकर सुलझाओ। इसके बाद पिंकी देवी ने डालसा कार्यालय में प्री-लिटिगेशन के तहत मामले का निष्पादन करने का आवेदन दिया। पक्षकारों को बुलाया गया। जहां कुछ बैठकों में मामले को सुलझा दिया गया। आपसी सहमति के तहत मो तारिफ ने आनंद कुजूर को एक लाख रुपए दिया और पिंकी देवी ने एकरारनामा की बकाया राशि डेढ़ लाख रुपए उसे चुकायी। इसी के साथ विवाद को समाप्त हो गया।