सीबीआई के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने 10 साल पुराने एचईसी में हुए टेंडर घोटाले से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए एचईसी के पूर्व सीनियर डीजीएम (सिविल एवं स्ट्रक्चरल डिजाइन) अनिल कुमार सिंह और कोलकाता की कंपनी मेसर्स कंसल्टिंग डिजाइन इंजीनियरिंग सेंट्रल प्रा. लिमिटेड के संचालक पार्थ चक्रबर्ती को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।
20 जून 2012 में हुए टेंडर घोटाले को लेकर सीबीआई ने नवंबर 2014 में अनिल कुमार सिंह, सीनियर डीजीएम प्रोजेक्ट डिवीजन बंधु तिग्गा और कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। सुनवाई के दौरान बंधु तिग्गा की मौत हो गई थी। बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार कंठ ने अदालत के समक्ष जबरदस्त पक्ष रखा था। जिसके कारण सीबीआई ने घोटाले को साबित करने के लिए अदालत के समक्ष 17 गवाहों को प्रस्तुत किया था। बावजूद आरोप को साबित नहीं किया जा सका। जिसका लाभ आरोपी को मिला।
क्या है मामला
एचईसी के पूर्व सीनियर डीजीएम पर गलत तरीके से ठेका देने का आरोप लगा था। दरअसल एचईसी ने 20 जून 2012 को कृष्णशिला प्रोजेक्ट में डिजाइन और इंजीनियरिंग कार्य के लिए ठेका देने को लेकर एक निविदा निकाली थी। जिसका अनुमानित लागत 2.6 करोड़ रुपए था। अंतिम तारीख 6 जुलाई 2012 थी। तीन बोलीदाताओं ने बोली लगाई थी। लेकिन बिना किसी वैध कारण के उनकी बोलिया नहीं खोली गई । अनिल कुमार सिंह ने बेईमानी और धोखाधड़ी से फर्मों द्वारा पहले किए गए कार्य की पात्रता मानदंड को 50 लाख से बदल कर 100 लाख रुपए कर दिया। साथ ही अपने लाभ के लिए अपनी पंसद की फर्म को कार्य दिया। जिससे एचईसी को लाखों रुपए की आर्थिक क्षति हुई थी।
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