देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का गुरुवार को निधन हो गया हैं। दिल्ली के एम्स में उन्होने अंतिम सांसे ली। 2006 में मनमोहन सिंह की दूसरी बार बाईपास सर्जरी हुई थी। जिसके बाद से वह काफी बीमार चल रहे थे। अचानक गुरुवार की शाम को उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। जिसके बाद उन्हें इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया था।
दरअसल उन्हें सांस लेने में तकलीफ और बेचैनी हो रही थी। जिसके वजह से उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था। जहां उनकी मृत्यु हो गयी। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन से पूरे देश में शोक की लहर हैं। उन्होंने देश की बागडोर 2004 से लेकर 2014 तक बतौर प्रधानमंत्री संभाला था। उनका जन्म 26 सितम्बर 1932 को पश्चिमी पंजाब के गाह (अब पाकिस्तान) में हुआ था।
पीएम नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक डॉ मनमोहन सिंह जी के निधन पर शोक मनाता है। साधारण परिवार से उठकर वह एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बने। उन्होंने वित्त मंत्री सहित विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य किया और वर्षों तक हमारी आर्थिक नीति पर एक मजबूत छाप छोड़ी। संसद में उनका हस्तक्षेप भी व्यावहारिक थ। हमारे प्रधान मंत्री के रूप में उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किये।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी शोक जताते हुये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि आज देश ने अपना एक महान लाल खो दिया। देश के पूर्व प्रधानमंत्री और विश्वविख्यात अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखदायी हैं। विकासशील राजनीति और गवर्नेंस के पुरोधा आदरणीय मनमोहन सिंह जी ने निःस्वार्थ भाव के साथ देश और देशवासियों की सेवा में अपना पूरा जीवन लगा दिया था। आज मनमोहन सिंह जी हमारे बीच नहीं हैं, मगर उनके आदर्श और विचार हमें हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे।
वहीं, देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जाने माने अर्थशास्त्री थे। राजीव गांधी की सरकार में डॉ मनमोहन सिंह 1985 से 1987 तक भारतीय योजना आयोग के प्रमुख पदों पर भी रहे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के साथ भी काम किया।
इसके साथ ही वे आरबीआई के 1982 से 1985 तक गवर्नर भी रहे। इस दौरान उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में कई सुधार किए। जिसको लेकर उन्हें आज भी याद किया जाता हैं। उन्होंने 1991 में देश के आर्थिक सुधारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों को लागू किया था। इस दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिली थी। उन्हें उनके योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित भी किया जा चुका हैं।