जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बड़ा झटका लगा है। हेमंत सोरेन ने याचिका दाखिल कर लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए जमानत मांगी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। जमीन घोटाला मामले में हेमंत सोरेन जेल में बंद हैं। इससे पहले झारखंड हाई कोर्ट से भी हेमंत सोरेन को झटका लग चुका है।
वहीं, अंतरिम जमानत देने से मना करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली है। बुधवार (22 मई, 2024) को अपनी दलीलें पेश करने के बाद जब जज ने याचिका को खारिज करने की बात कही, तो हेमंत सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने याचिका वापस लेने की अनुमति देने का आग्रह किया।
जिसके बाद कोर्ट की अनुमति से याचिका वापस ले ली गयी। दरअसल हेमंत सोरेन के समर्थकों को उम्मीद थी, कि जिस तरह से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए जमानत दी गई है, ठीक उसी तरह सुप्रीम कोर्ट भी हेमंत सोरेन को राहत देगी।
वहीं, इससे पहले ईडी की कार्रवाई को चुनौती देने और अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका पर मंगलवार (21 मई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। जिसमें तकरीब दो घंटे तक दोनों पक्षों की ओर से बहस की गयी। इसके बाद जस्टिस दीपांकर दत्ता और सतीश चंद्र शर्मा की अवकाशकालीन बेंच ने बुधवार को भी सुनवाई जारी रखने का फैसला किया। जिसके तहत आज भी सनुवाई हुई और फैसला हेमंत सोरेन के पक्ष में नहीं रहा।
कपिल सिब्बल ने कहा, माई लॉर्ड इससे मेरे मुवक्किल का कोई संबंध नहीं है..
हेमंत सोरेन की ओर से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि ईडी ने हेमंत सोरेन के खिलाफ जिस जमीन पर कब्जे के आरोप में कार्रवाई की है, वह जमीन छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट के तहत भुईंहरी नेचर की है। इसे कोई भी स्थिति में किसी भी व्यक्ति को बेचा अथवा खरीदा नहीं जा सकता है। यह जमीन का लीज राजकुमार पाहन के नाम पर है। इस जमीन पर बैजनाथ मुंडा और श्यामलाल पाहन भी अपना दावा कर रहे हैं। इसलिए यह पूरी तरीके से सिविल डिस्प्यूट का मामला है। इससे मेरे मुवक्किल (हेमंत सोरेन) का कोई संबंध नहीं है।
सिब्बल ने अपना पक्ष रखते हुये कहा कि हेमंत सोरेन पर वर्ष 2009-10 में इस जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाया गया है। लेकिन इस मामले में कहीं कंप्लेन दर्ज नहीं है। जिसके बाद ईडी ने अप्रैल 2023 में इस मामले में कार्यवाही शुरू की और सिर्फ कुछ लोगों के मौखिक बयान के आधार पर बता दिया कि यह जमीन हेमंत सोरेन की है।
ईडी के पास इस बात के कोई सबूत नहीं है कि हेमंत सोरेन ने इसपर कब, कहां और किस तरह कब्जा किया। वहीं, ईडी की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि बरियातू की 8.86 एकड़ जमीन पर हेमंत सोरेन का अवैध कब्जा है। इस बात के पर्याप्त सबूत मिले हैं। इसके साथ ही कोर्ट में ईडी ने अपने पक्ष में सबूत भी पेश किये।