बहुचर्चित चारा घोटाले के अंतिम और आरोपियों की संख्या में सबसे बड़े मामले में 27 साल बाद सोमवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने 124 अभियुक्तों में से 89 को दोषी करार दिया है। नौ महिला समेत 35 आरोपियों को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी किया गया। दोषी करार पशुपालन विभाग के तत्कालीन सहायक निदेशक डॉ केएम प्रसाद, क्षेत्रीय निदेशक डॉ जुनूल भेंगराज, बजट एवं लेखा पदाधिकारी नित्यानंद कुमार सिंह समेत 36 अभियुक्तों को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार भेज दिया है। साथ ही अदालत ने इन दोषी करार अभियुक्तों की सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए एक सितंबर की तारीख निर्धारित की है। वहीं दोषी करार सात महिला समेत 53 अभियुक्तों को दो से तीन साल तक की सजा सुनाई गई। साथ ही इन अभियुक्तों पर 10 हजार से लेकर 4 लाख 20 हजार रुपये तक का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माने की राशि नहीं देने पर अभियुक्तों को अतिरिक्त जेल काटनी होगी। सबसे अधिक जुर्माना आपूर्तिकर्ता श्याम सुंदर शर्मा को चार लाख 20 हजार रुपये एवं सबसे कम अनंत मुरारी सिंह को 1300 रुपये का लगाया गया है। फैसले के दौरान सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक रवि शंकर ने पैरवी की। यह फैसला डोरंडा कोषागार से 36 करोड़ 60 लाख रुपये की अवैध निकासी मामले में सुनाई गई है। इस घोटाले के लेकर सीबीआई ने कांड संख्या आरसी 48ए/96 के तहत प्राथमिकी 1996 में प्राथमिकी दर्ज की थी। इससे पूर्व मामले के सभी आरोपी सोमवार को सीबीआई कोर्ट पहुंचे। अदालत ने सभी का नाम लिया। इसमें से दो आरोपी अजय कुमार सिंह एवं सुरेश दुबे अनुपस्थित पाए गए। बता दें कि जिन 53 अभियुक्तों को तीन साल की सजा सुनाई गई है। उन सभी अभियुक्तों को ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए जमानत की सुविधा प्रदान की है।
सीबीआई प्रारंभ में 192 के खिलाफ दर्ज की प्राथमिकी
डोरंडा कोषागार में अवैध निकासी को लेकर सीबीआई ने साल 1996 में 192 आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। चार्जशीट नवंबर 2001 में दाखिल की गई। इसमें अभियुक्तों की संख्या घटकर 187 हो गई। इसके बाद सीबीआई ने छह आरोपियों को वादामाफ गवाह(सरकारी गवाह) बनाया। छह आरोपी फरार चल रहे हैं। मामले में 172 आरोपियों के खिलाफ अप्रैल 2005 को आरोप गठित किया गया था। आरोप गठन के बाद सीबीआई की ओर से गवाही प्रारंभ हुई। चली लंबी सुनवाई के दौरान 56 आरोपियों ने साथ छोड़ दिया। अर्थात् 56 आरोपियों की मौत हो गई। 124 ने ट्रायल फेस किया।
एंबुलेंस में पहुंचे तीन अभियुक्तों को राहत नहीं, गये जेल
चारा घोटाले के आरोपी तत्कालीन जिला पशुपालन अधिकारी 90 वर्षीय डॉ. गौरी शंकर प्रसाद, 84 वर्षीय डॉ केएम प्रसाद और आपूर्तिकर्ता 67 वर्षीय मो सईद फैसले के दिन एंबुलेंस से कोर्ट पहुंचे थे। सुनवाई के दौरान तीनों एंबुलेंस में बैठे रहे। अदालत ने तीनों को दोषी करार दिया है। साथ ही तीनों को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार भेज दिया है।
50 हजार से अधिक दस्तावेज और 617 गवाही
सीबीआई को घोटाले की जांच को साबित करने के लिए बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ी। सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से 50 हजार से अधिक दस्तावेजों को अदालत में साबित कराया गया। साथ ही छह वादामाफ गवाह समेत 617 गवाहों के बयान अदालत ने दर्ज किया। इसके बाद ही अदालत ने फैसला सुनाई। सीबीआई की ओर से विशेष लोक अभियोजक रवि शंकर ने पूरे मामले में पक्ष रखा है।
दोषी पाए जाने के बाद 36 को भेजा गया जेल
अदालत ने दोषी पाए जाने के बाद 36 आरोपियों को जेल भेज दिया है। इसमें नित्यानंद कुमार सिंह, डॉ जुनूल भेंगराज, डॉ केएम प्रसाद, डॉ राधा रमण सहाय, डॉ गौरी शंकर प्रसाद, डॉ रवींद्र कुमार सिंह, डॉ फणिंद्र कुमार त्रिपाठी, आपूर्ति कर्ता महेंद्र प्रसाद, देवेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव, अशोक कुमार यादव, राम नंदन सिंह, डॉ बिजयेश्वरी प्रसाद सिन्हा, अजय कुमार सिन्हा, राजन मेहता, रवि नंदन कुमार सिन्हा उर्फ रवि कुमार सिन्हा, राजेंद्र कुमार हरित, अनिल कुमार, त्रिपुरारी मोहन प्रसाद, दयानंद प्रसाद कश्यप, शरद कुमार, मो सईद, मो तौहिद, संजय कुमार, रामा शंकर सिंह, उमेश दुबे, अरुण कुमार वर्मा, डॉ अजित कुमार वर्मा, सुशील कुमार सिन्हा, जगमोहन लाल कक्कड़, श्याम नंदन सिंह, मोहिंद्र सिंह बेदी, प्रदीप कुमार चौधरी, सत्येंद्र कुमार मेहरा, मदन मोहन पाठक एवं प्रदीन वशिष्ठ उर्फ प्रदीप कुमार के नाम शामिल है। वही, एक अभियुक्त सुरेश दुबे नहीं पहुंचे है। उसको भी अदालत ने दोषी पाया है।