BY Santosh Chourasia
34वें राष्ट्रीय खेल घोटाले के वित्तीय अनियमितता मामले में सीबीआई ने जांच पूरी करते हुए आरके आनंद समेत सात पर चार्जशीट दाखिल कर दी है। सीबीआई ने जांच पूरी करते हुए 28 करोड़ 38 लाख रुपए के घोटाले में चार्जशीट दाखिल की है। दाखिल चार्जशीट में बंधु तिर्की का नाम नहीं है। जबकि एसीबी जांच में बंधु तिर्की को आरोपी बनाया गया था। इस मामले में वह जेल भी जा चुके हैं। सीबीआई ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर 25 अप्रैल 2022 को राष्ट्रीय खेल घोटाले को लेकर दो प्राथमिकी दर्ज की गई है।
पहली प्राथमिकी होटवार स्थित स्पोर्टस कांप्लेक्स निर्माण में हुई गड़बड़ी को लेकर की गई थी। जिसमें सीबीआई ने पिछले दिनों क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है। जबकि दूसरा मामला राष्ट्रीय खेल घोटाले में हुए वित्तीय अनियमितता के आरोप में दर्ज की गई है। जिसमें सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की है। जानकारी हो कि सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज होने के बाद मई 2022 में जिन 16 ठिकानों पर छापेमारी की है, उसमें झारखंड में 12, पटना में दो और दिल्ली में दो ठिकाने शामिल थे। छापेमारी के दौरान खेल सामग्री की खरीद से जुड़े दस्तावेज भी जब्त किये गये थे।
चार्जशीट इनलोगों के खिलाफ :
दाखिल चार्जशीट में सीबीआई ने आयोजन समिति के तत्कालीन कार्यकारी अध्यक्ष राम कुमार आनंद, कोषाध्यक्ष मधुकांत पाठक, सचिव एसएम हाशमी, तत्कालीन खेल निदेशक पीसी मिश्रा, प्रेम प्रकाश चौधरी, हीरा लाल दा एवं शिव प्रकाश सिंह को आरोपी पाया है। सभी पर वित्तीय अनियमितता मामले में सबूत मिला है। चार्जशीट भादवि की धारा 409, 420, 120बी, 467, 468, 471 व 109 एवं पीसी एक्ट की दो धाराओं को तहत की गई है।
सीबीआई को 12 साल बाद मिली जांच आदेश :
खेल घोटाले को लेकर वर्ष 2010 में निगरानी कांड संख्या 49/2010 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। लेकिन 12 साल बीतने के बाद भी जांच पूरी नहीं हुई तो ऐसी स्थिति में मामले की जांच झारखंड हाईकोर्ट ने संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान 2022 में सीबीआई जांच का आदेश दिया। इसके बाद सीबीआई ने टेक ओवर करते हुए दो प्राथमिकी दर्ज कर तफ्तीश प्रारंभ की थी।
कैसे आया मामला पकड़ में :
34वें राष्ट्रीय खेल आयोजन के सिलसिले में हुई गड़बड़ी से संबंधित शिकायत राज्यपाल से की गयी थी। राज्यपाल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए महालेखाकार को स्पेशल ऑडिट करने का निर्देश दिया। राज्य के तत्कालीन महालेखाकार (ऑडिट) के दिशा-निर्देश के आलोक में स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट तैयार कर राज्यपाल को सौंपी गयी। स्पेशल ऑडिट के दौरान बाजार से अधिक कीमत पर खेल सामग्री की खरीद का मामला पकड़ में आया।
ऑडिट के दौरान इस बात की भी जानकारी मिली कि मनपसंद ठेकेदार से सामान खरीदने के लिए एक अनोखे तरीके का इस्तेमाल किया गया। इसके लिए टेक्निकल और फाइनेंशियल बिड में कुल 50 नंबर और पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन में 50 नंबर देने का नियम बनाया गया। यह भी तय किया गया कि जिस ठेकेदार को अधिक नंबर मिलेगा, उसे ही काम दिया जाएगा। इससे जिस मनपसंद ठेकेदार को काम देना होता था, उसे पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन में ज्यादा नंबर देकर उसे काम दे दिया जाता था। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार खेल सामग्री की खरीद में ठेकेदारों को 10.99 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान किया गया। इसके साथ ही जरूरत से ज्यादा सामग्री खरीदी गयी।