जेएमएम सुप्रीमो सह राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन पर लोकपाल की जांच से जुड़े मामले में सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी कर ली गई है। अदालत ने इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। यह केस शिबू सोरेन पर कथित रूप से आय से अधिक संपत्ति अर्जित को लेकर जुड़ा हुआ है। बताते चले कि इस मामले पर लोकपाल की ओर से जांच को लेकर कार्यवाही शुरू की गयी थी। जिसके खिलाफ शिबू सोरेन ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। अदालत ने पूर्व में इस याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके खिलाफ लोकपाल की ओर से शुरू कार्यवाही पर रोक लगा दिया था। वही, फिलहाल इस बाबत कोर्ट ने फैसला आने तक रोक बरकरार है। दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार को न्यायाधीश जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की अदालत में मामले में सुनवाई पूरी की गयी। वही, शिबू सोरेन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता प्रज्ञा सिंह बघेल और लोकपाल की ओर से सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने अपना पक्ष रखा।
क्या है पूरा मामला
शिबू सोरेन और उनके परिजनों के नाम पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत लोकपाल के समक्ष 5 अगस्त 2020 को दायर की गयी। जिसमें कहा गया था कि सोरेन और उनके परिजनों ने झारखंड के सरकारी खजाने का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार से अर्जित राशि से अनेक संपत्तियां बनायी हैं। इनमें कई बेनामी आवासीय और कमर्शियल परिसंपत्तियां भी हैं। इस शिकायत पर सुनवाई करते हुए लोकपाल की फुल बेंच ने 15 सितंबर, 2020 को सीबीआई को लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की धारा 20 (1) (ए) के तहत मामले में पीई (प्रीलिमिनरी इन्क्वायरी) दर्ज कर छह महीने में रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था। सीबीआई ने मामले की जांच के बाद मार्च 2021 और उसके बाद 1 जुलाई 2021 को सोरेन परिवार की संपत्ति का पूरा ब्यौरा के साथ उनके आयकर रिटर्न पर लोकपाल को रिपोर्ट सौंपी थी। जिसके बाद इसको आधार बनाकर लोकपाल ने शिबू सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों को नोटिस भेजकर पक्ष मांगा था। इसके बाद सीबीआई ने अंतिम पीई रिपोर्ट सोरेन परिवार के सदस्यों से मिले जवाब के आलोक में बीते साल 29 जून को लोकपाल में दाखिल किया। जिसमें सीबीआई ने कहा कि शिबू सोरेन और परिवार के सदस्यों ने आय के ज्ञात व घोषित स्रोत से ज्यादा कई बेनामी संपत्तियां बनाई हैं।