21 साल पुराने दवा व उपकरण खरीद घोटाले में आरोपी रांची के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ योगेंद्र कुमार सिन्हा के साथ सात आरोपियों को एसीबी के विशेष न्यायाधीश प्रकाश झा की अदालत ने शुक्रवार को रिहा कर दिया है। अदालत ने मामले से जिन आरोपियों को बरी किया है उसमें योगेंद्र कुमार सिन्हा , क्लर्क उमेश कुमार तिवारी, लेखापाल विष्णुदेव प्रसाद सिंह, आपूर्तिकर्ता बिनोद शर्मा, रामबृत सिंह, रामबृंद सिंह एवं बेलारमिन तिग्गा के नाम शामिल है। सुनवाई के दौरान दो आरोपी तारू बाला हुरूद और नरेश कुमार रस्तोगी की मौत हो गई। नौ पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह महाराणा ने बहस के साथ पक्ष रखा था। बताया कि वित्तीय वर्ष 2001 से लेकर 2003 तक स्वास्थ्य विभाग ने तत्कालीन सिविल सर्जन रांची को सरकारी अनुदेशों का पालन करते हुए दवा, उपकरण समेत अन्य की खरीदारी करने का आदेश दिया था।
खरीदारी के तीसरे वित्तीय वर्ष में आरोप लगा कि सिविल सर्जन ने अन्य के साथ मिलकर अपने पद का भ्रष्ट दुरूपयोग कर व्यक्तिगत लाभ के लिए क्रय संबंधी निर्देशों की अवहेलना कर ऊंची दाम में दवा की खरीदारी की है। इससे राज्य सरकार को लगभग 25 लाख रुपए की राजस्व क्षति हुई थी। घोटाले को लेकर सिविल सर्जन समेत नौ के खिलाफ 21 जून 2003 को निगरानी थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मामले की सुनवाई के दौरान एसीबी की ओर से 14 गवाहों को प्रस्तुत किया गया था। बावजूद आरोपियों पर लगे आरोपों को साबित नहीं किया जा सका।