पुलिस की लापरवाही के कारण सिर्फ तीन साल पुराने अवैध हथियार रखने, लूटपाट करने एवं डकैती की योजना बनाने से जुड़े मामले के छह आरोपियों को अदालत ने राहत प्रदान कर दी है। पुलिस अधिकारी स्वयं की लिखित प्राथमिकी को अदालत में सुनवाई के दौरान साबित करने नहीं पहुंची। इतना ही नहीं मामले के गवाहों को बुलाने के लिए अदालत ने एसपी से लेकर डीजीपी तक को लिखा। बावजूद मामले में एक भी गवाह अदालत तक नहीं पहुंचा। इस मामले में तीन सब-इंस्पेक्टर, दो एएसआई व तीन सिपाही गवाह थे। अदालत ने गवाहों का आने का इंतजार लगभग 10 महीने तक किया। नहीं पहुंचने पर अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने चान्हो कांड संख्या 169/2020 में चल रहे मुकदमें को बंद करते हुए आरोपियों को बरी कर दिया। जिसके बाद अदालत ने तबरेज अंसारी, अजहर अंसारी, फारूक अंसारी, तौफिक अंसारी उर्फ नायर अंसारी, सुनील कुमार साहू एवं नसीम अंसारी को आरोप मुक्त किया।
मामले के गवाह :
मामले में चान्हो थाना के तत्कालीन प्रभारी दिलेश्वर कुमार, जांच अधिकारी सब-इंस्पेक्टर सुनील कुमार, सब-इंस्पेक्टर प्रभाष दास, एएसआई इमरान अहमद खान, शस्त्र बल के हवलदार शिवनंदन यादव, आरक्षी मोहन उरांव, बुधदेव उरांव व संतोष कुमार गवाह थे।
क्या है मामला :
चान्हो थाना प्रभारी दिलेश्वर कुमार ने वरीय पदाधिकारियों के निर्देश पर मिली गुप्त सूचना के तहत 17 सितंबर 2020 को कटैया पतरा के पास सड़क किनारे रात 11 बजे शराब का सेवन कर रहे पांच लोगों में से दो सुनील कुमार साहू एवं नसीम अंसारी को पुलिस टीम ने धर दबोचा। गिरफ्तार अपराधियों के पास से लोडेड पिस्तौल एवं धारदार चाकू बरामद किया गया था। निशानदेही पर पुलिस ने अजहर अंसारी, तौफिक अंसारी, फारूक अंसारी एवं तबरेज अंसारी को गिरफ्तार किया गया। मामले की जांच पूरी करते हुए सुनील कुमार अदालत में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। जिसके आधार पर मुकदमा चला। लेकिन इसको साबित करने कोई पुलिसकर्मी नहीं पहुंचा। मामले को लेकर चान्हो थाना प्रभारी ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
पुलिस की लापरवाही के कारण आर्म्स एक्ट के छह आरोपियों को अदालत ने किया आरोप मुक्त, मामले के सभी गवाह थे पुलिसकर्मी, एक भी नहीं पहुंचे कोर्ट, जाने क्या है पूरा मामला
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