झारखंड राज्य अनुबंध कर्मचारी महासंघ का प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष रविन्द्र महतो और विधायक दीपिका पांडेय सिंह से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई संघ के अध्यक्ष विक्रांत ज्योति ने किया। झारखंड विधानसभा में अध्यक्ष रविन्द्र महतो और विधायक दीपिका पाण्डेय सिंह से भेंट करने के बाद विक्रांत ज्योति ने कहा कि संघ अपने मांगों को एक बार फिर से रखा है। इससे पहले भी हम विभन्न स्तर पर अपने मांगों से सरकार को अवगत करा चुके है।
महासंघ के बैनर तले आज भी 45 से अधिक छोटे- बड़े संविदाकर्मियों की समस्याओं से उन्हें अवगत कराया गया। इसके साथ उभरते आक्रोश, सरकार के क्रिया कलाप के प्रति नाराजगी और पौने पांच वर्षों में अपने वादे का 10 प्रतिशत काम पूरा नहीं करने वाले मामले को उठाया गया। उन्होंने ने कहा कि सरकार जन भावनाओं के सम्मान को बचाने में असमर्थ साबित हुई। सरकार ने अबतक हम लोगों को अपने अधिकार से उपेक्षित रखा है। अब हम सभी 6 लाख संविदा कर्मियों के 60 लाख पारिवारिक का वोट बैंक बेहतर विकल्प की तलाश करेंगे।
उन्होंने कहा कि हम सरकार के इस रवैये के खिलाफ है। अपनी मांगों को लेकर विकल्प की तलाश करेंगे। महागठबंधन की सरकार में संविदाकर्मियों और बेरोजगार युवा के साथ अन्याय हुआ। नियुक्ति प्रणाली विवादित और भृष्टाचारियों की भेंट चढ़ गयी है। समान काम का समान वेतन पर उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन संविदा संवाद में घोषण की थी। लेकिन इस पर अबतक फैसला नहीं किया जा सका है। महागठबंधन की सरकार सभी संविदाकर्मियों को समान काम का समान वेतन देते हुये संविदा शब्द को ही हटाने की बात थी। मगर सम्पूर्ण कार्यकाल में संविदा शब्द को हटाना तो दूर, बल्कि पोषण सखी , edgs कर्मी , 15वें वित्त कर्मी समेत अन्य संविदा कर्मियों को ही हटा दिया गया। इन सभी मुद्दों को लेकर मनरेगाकर्मियों, बाल संरक्षण कर्मियों ,आगनबाड़ी ,सहायक अध्यपक, एनआरएचएम समेत अन्य संविदा कर्मी सरकार के खिलाफ जोरदार आंदोलन का मूड बना रही है।
समिति के सदस्य सह उपाध्यक्ष झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ महेश सोरेन ने कहा कि सरकार ने इन पांच सालों में संविदा कर्मी के हित में सकारात्मक फैसला नहीं किया। जिसके खिलाफ आंदोलन के लिए बाध्य होगे। विकास आयुक्त की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी तो बना दी गयी, लेकिन इसके बनाने के उद्देश्य को भूल गये। इसलिए तो पांच वर्षों में हमारे हित में कुछ काम नहीं किया जा सका हैं। जिस उम्मीद के साथ पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ झारखंड के मानसिकता वाली सरकार बनी। और इसमें हम लोगों का सहयोग भी मिला। लेकिन सरकार ने संघ की मांगों को अनदेखी की है। हमारे साथ धोखा हुआ है। अब मांगों के समर्थन में सड़कों पर उतर ही हमारे पास विकल्प के तौर पर बचा है।
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