सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर में जारी जातीय हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। इस दौरान सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने कोर्ट को बताया कि सरकार बहुत ही परिपक्वता के साथ मणिपुर हिंसा की घटनाओं को संभाल रही है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि हिंसा प्रभावित छह जिलों में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को शामिल करते हुए एसआईटी गठित की जाएंगी।
जिला स्तर पर गठित की जाएंगी एसआईटी: अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इन एसआईटी की अध्यक्षता पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी करेंगे। यह एसआईटी हिंसा की जांच करेगा। महिलाओं से संबंधित अपराधों की जांच के लिए सिर्फ महिला पुलिस अधिकारियों वाली एसआईटी गठित की जाएगी। डीआईजी और डीजीपी स्तर के पुलिस अधिकारी इन एसआईटी के कामकाज की निगरानी करेंगे। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि मणिपुर में हालात काफी तनावपूर्ण हैं। ऐसे में कोई भी बाहर से निर्देशित जांच लोगों में विश्वास बढ़ाने में सहायक नहीं होगा।
महिला अपराधों की जांच करेगी सीबीआई : सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीबीआई महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़ी 12 मामलों की जांच करेगी। उन्होंने ये भी कहा कि अगर महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े अन्य मामले भी जांच के दौरान सामने आए तो उनकी जांच भी सीबीआई द्वारा की जाएगी। वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कोर्ट को बताया कि भारत म्यांमार सीमा पर कई उग्रवादी संगठन मौजूद हैं। ये विदेशी उग्रवादी हथियारों से लैस हैं। मुख्य मुद्दा पोस्ता की खेती का है, जिससे उन्हें फंडिंग होती है। ये उग्रवादी सीमा से इधर-उधर आ जा सकते हैं। यह एक समुदाय की बात नहीं है बल्कि इससे सभी प्रभावित हैं।
आईपीएस अधिकारी सीबीआई जांच की निगरानी करें : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आईपीएस अधिकारी सीबीआई जांच की निगरानी करें। जांच के मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया है। लेकिन कानून के शासन में विश्वास सुनिश्चित करने के लिए यह निर्देश देने का प्रस्ताव है कि कम से कम डिप्टी एसपी रैंक के पांच अधिकारी होंगे। जिन्हें विभिन्न राज्यों से सीबीआई में लाया जाएगा।। ये अधिकारी सीबीआई के बुनियादी ढांचे और प्रशासनिक ढांचे के चारों कोनों में भी काम करेंगे। 42 एसआईटी ऐसे मामलों को देखा है, जो सीबीआई को हस्तांतरित नहीं किए गए हैं।
हाईकोर्ट जजों की कमेटी करेगी जांच की निगरानी : सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के तीन पूर्व महिला जजों की एक कमेटी बनाने का आदेश देंगे। यह कमेटी जांच, राहत कार्यों, उपचार, मुआवजे, पुनर्वास समेत अन्य कामों की निगरानी करेगी। तीन पूर्व न्यायाधीशों की समिति की अध्यक्षता न्यायमूर्ति गीता मित्तल करेंगी। जिसमें न्यायमूर्ति शालिनी जोशी, न्यायमूर्ति आशा मेनन भी शामिल होंगी।
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