नेशनल हाईवे फीस नियमों को लेकर सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने अहम बदलाव किये हैं। जिसके तहत अब देश में सेटेलाइट आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम को मंजूरी दे दी गयी हैं। यह जीपीएस आधारित टोल प्रणाली हैं। इस नये व्यवस्था के बाद अब टोल प्लाजा पर रुकने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी। नई प्रणाली आपके सफर को और भी आसान बनाने में सहयोग करेगा। दरअसल सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने दस अक्टूबर को नेशनल हाईवे फीस के नियम यानी 2008 को संशोधित कर मंजूरी दे दी हैं।
सरकार के इस नये नियमों को ऑफिशियल गजट में भी प्रकाशित कर दिया गया है। केंद्र सरकार इस बाबत नोटिफिकेशन जारी कर दी हैं। जिसके अनुसार टोल वसूली के लिए अब ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस), ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) और ऑन बोर्ड यूनिट्स (ओबीयू) का इस्तेमाल किया जायेगा। इसी सिस्टम की मदद से ऑटोमेटिक टोल वसूली की जायेगी।
वहीं, नये व्यवस्था के तहत अब 20 किमी तक की यात्रा पर किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जायेगा। इसके साथ ही फिलहाल फास्टैग की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी। अभी इसमें कोई छोड़छाड़ नहीं किया जायेगा। वहीं, भारत में पंजीकृत नहीं होने अथवा बिना काम करने वाले जीएनएसएस वाहनों से स्टैंडर्ड टोल दरें ही वसूली जायेगी।
जीएनएसएस गाड़ियों के लिए होगा अलग लेन..
नोटिफिकेशन के अनुसार फिलहाल फास्टैग और ऑटोमेटिक नंबर रिकग्निशन टेक्नोलॉजी दोनों का इस्तेमाल होता रहेगा। जीएनएनएस ओबीयू वाली गाड़ियों के लिए टोल प्लाजा पर अलग से लेन बनायी जायेगी। जहां टोल देने के लिए कही भी रुकने की दरकार नहीं होगी। इस लेन वाली गाड़ियों को सिर्फ उतनी दूर का ही टोल देना पड़ेगा, जहां तक की दूरी (टोल रोड़) वाहन चालक ने इस्तेमाल किया होगा।
ऐसे करेगा नया सिस्टम काम..
गाड़ियों में लगे ओबीयू ट्रैकिंग डिवाइस की तरह काम करेंगे। जो हाईवे पर गाड़ी के कोऑर्डिनेट को सेटेलाइट से शेयर करने में सक्ष्म हैं। जिसके बाद गाड़ी की तय की गयी दूरी की गणना कर लिया जायेगी। जीपीएस और जीएनएनएस की मदद से इस दूरी को जोड़ा जायेगे। फिलहाल नया टोल कलेक्शन सिस्टम चुनिंदा कुछ हाईवे और एक्सप्रेसवे पर लागू किया जायेगा। जिसके बाद इसे पूरे देश के टोल प्लाजा पर स्थापित कर दिया जायेगा।