झारखंड हाइकोर्ट ने पेपर लीक मामले पर परीक्षा लेनेवाली एजेंसी को राहत नहीं दी हैं। इस मामले पर जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ में रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई हुई। दरअसल सीजीएल परीक्षा 2023 के दौरान पेपर लीक हुआ था। जिसके बाद उस परीक्षा को रद्द कर 28 जनवरी 2024 को परीक्षा ली गयी। इस बीच परीक्षा लेने वाली सैटवैट इंफोसोल प्राइवेट लिमिटेड एजेंसी को काली सूची में डाल दी गयी थी।
इसी मामले पर हाइकोर्ट में परीक्षा एजेंसी सैटवैट इंफोसोल प्राइवेट लिमिटेड ने रिव्यू पिटीशन दायर किया था। जिसपर आज सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने सैटवैट इंफोसोल प्राइवेट लिमिटेड एजेंसी के रिव्यू पिटीशन पर अपना फैसला सुनाया हैं। जिसमें खंडपीठ ने रिव्यू पिटीशन को ही खारिज कर दिया। हाइकोर्ट ने कहा कि आदेश के रिव्यू की कोई दरकार नहीं हैं। इससे पूर्व मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसपर कोर्ट ने आज फैसला सुनाया हैं।
बता दें कि पूर्व में कोर्ट ने परीक्षा लीक मामले में कंपनी सैटवैट इंफोसोल को काली सूची में डाला था। जिसमें जेएसएससी के उस आदेश को सही ठहराया जिसमें तीन साल तक के लिए उक्त कंपनी को काली सूची में डाला गया था। जहां कोर्ट ने जेएसएससी के आदेश को सही ठहराते हुये एजेंसी की याचिका को ही खारिज कर दी थी। जिसके बाद एजेंसी ने रिव्यू पिटीशन दायर किया था।
समझे क्या है मामला..
# प्रार्थी सैटवैट इंफोसोल प्राइवेट लिमिटेड ने रिव्यू पिटीशन दायर की।
# प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अजीत कुमार ने काली सूची में डालने पर दी थी चुनौती।
# जेएसएससी के अधिकार को चुनौती 24 अप्रैल 2024 को दिया।
# जहां आदेश को गलत बताते हुये निरस्त करने का किया आग्रह।
# कहा काली सूची में डालने के पूर्व एजेंसी का पक्ष नहीं सुना गया।
# तीन वर्ष तक काली सूची में डालने का आयोग को अधिकार नहीं।
#जिसके बाद कोर्ट के पूर्व के आदेश की समीक्षा को लेकर याचिका दायर कर किया था आग्रह।
# जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरावाल ने प्रार्थी की दलील का किया विरोध।
# कहा आयोग से हुआ था एकरारनामा, शर्तों का उल्लंघन पर तीन वर्ष तक एजेंसी को काली सूची में डालने का है अधिकार।
# इसलिए आदेश की समीक्षा की कोई जरुरत नहीं।