एनआईए के विशेष न्यायाधीश एमके वर्मा की अदालत ने राज्य के पूर्व मंत्री सह तमाड़ के तत्कालीन विधायक रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड में शामिल माओवादी राधे श्याम बड़ाईक की जमानत याचिका खारिज कर दी है। उसे आगे भी जेल में रहना पड़ेगा। वह पिछले साढ़े छह साल से अधिक समय से जेल में है। अदालत ने सात मार्च को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के पश्चात आदेश सुरक्षित रख लिया था। एनआईए ने आरोपी राधे श्याम बड़ाईक को 17 जुलाई 2017 को गिरफ्तार किया था। तब से वह जेल में ही है।
याचिका पर सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से बताया गया कि आरोपी सीपीआई माओवादी से जुड़ा रहा। माओवादी कैडर के सदस्यों उसके घर को ठिकाने और बैठक स्थल के रूप में इस्तेमाल करते थे। वह बुंडू के बारूहातू में उसके घर पर रुकते थे और आरोपी व्यक्तियों को भोजन व अन्य सुविधाएं प्रदान करता था। यदि याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाएगा, तो संभावना है कि वह अभियोजन साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ कर सकता है। इसके साथ गवाहों को प्रभावित कर सकता है। इसको देखते हुए जमानत खारिज करने योग्य है।
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वह बहुत लंबे समय से हिरासत में है। याचिकाकर्ता के नहीं रहने से उसके परिवार वाले भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। याचिकाकर्ता का कोई आपराधिक इतिहास नहीं मिला। इस लिए जमानत की सुविधा प्रदान की जाए। दोनों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया।
बता दें कि 9 जुलाई 2008 को बुंडू के हाईस्कूल में आयोजित समारोह में शामिल रमेश सिंह मुंडा की हत्या कुंदन पाहन के दस्ते ने गोली मारकर कर दी थी। इसी मामले में पूर्व मंत्री गोपाल सिंह पातर उर्फ राजा पीटर लंबे समय जेल काटने के बाद दिसंबर 2023 में हाईकोर्ट से जमानत मिली है।