कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि आदिवासियों की धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान बरकरार रखने के साथ उन्हें बांटने की चाल के खिलाफ कल (रविवार) को आदिवासी एकता महारैली किया जा रहा है। झारखंड में आदिवासियों के मुद्दे की अनदेखी करने से ना सत्ता चलेगी और ना ही राजनीति। उन्होंने कहा कि समाज को बांटने वाले किसी भी राजनीतिक दल के साथ-साथ संगठन को रैली के माध्यम से मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा। ये बाते उन्होंने मोरहाबादी मैदान में आयोजित होने वाले रैली के मुख्य मंच के समीप शुक्रवार को प्रेस वार्ता में कहीं। उन्होंने कहा कि रैली में महाराष्ट्र के साथ-साथ पूरे देश के आदिवासियों के लिए संघर्ष करनेवाले आदिवासी नेता सह आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवाजी राव मोघे और गुजरात के आदिवासी नेता नारायण राठवा भी शामिल होंगे।
उन्होंने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि संसद में प्रस्तुत वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में आदिवासियों की उपयोजना राशि (ट्राइबल सब प्लान) में कटौती किया गया है। इससे साफ है कि आदिवासियों के हित के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जिसको किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उन्होंने ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके अधीन संगठन लगातार आदिवासियों को बांटने का काम कर रही है। उनकी चाल किसी भी सूरत में सफल नहीं होगी। हम आदिवासी बिना किसी मतभेद के एकजुट हैं। जिन-जिन प्रदेशों में भाजपा की सत्ता रही है, वहां आदिवासियों की अनदेखी होती रही है।
उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव में गुमला के एक रैली में अमित शाह ने सरना धर्मकोड पर विचार करने की बात कही थी। इसके बावजूद उसपर अबतक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। झारखंड से पलायन कर असम के चाय बागानों में मजदूरी कर रहे आदिवासियों को वहां एमओबीसी अर्थात विस्थापित अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा प्राप्त है। जबकि असम में भी चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के नेताओं ने आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बात कही थी। बीजेपी की आदत है अपने वायदे से हमेशा मुकरने की। इस महारैली में झारखंड के सभी जिलों के आदिवासियों के साथ आदिवासी मुद्दों के प्रति संवेदनशील रवैया रखने वाले और वास्तव में आदिवासियों की समस्याओं को समझने वाले सभी जागरूक लोगों की सहभागिता सुनिश्चित किया जा रहा है।
प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि झारखंड के आदिवासियों की एकजुटता महारैली के माध्यम से दिखेगी। भाजपा सरकार और आरएसएस ना केवल सीएनटी एसपीटी एक्ट जैसे कानूनों में परिवर्तन करना चाहती है बल्कि वह आदिवासियों के बीच दीवार खड़ी करना चाहती है। इस दौरान अजय तिर्की समेत अन्य ने भी अपने विचारों को रखा।