झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश कुमार की अदालत ने असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए अनुसूचित जनजाति (एसटी) उम्मीदवार के एक मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने जेपीएससी की दलील को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को चार सप्ताह में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त करने का आदेश जारी किया है। सुनवाई के दौरान जेपीएससी की ओर से कहा गया कि प्रार्थी ने जब अपना परीक्षा फॉर्म भरा था, उस दौरान जेपीएससी के वेबसाइट का स्टेटस फेल हो गया था, जिससे उसके फीस का पैसा जेपीएससी के अकाउंट में नहीं आया था। इस कारण उन्हें पहले इंटरव्यू में नहीं बुलाया गया था और उनकी नियुक्ति नहीं हो सकी। लेकिन कोर्ट ने जेपीएससी की इस दलील को नहीं माना और प्रार्थी मनोज कुमार कच्छप की याचिका को स्वीकृत किया। इसके साथ ही जेपीएससी को आदेश दिया कि प्रार्थी को नियुक्त करें।
नागपुरी भाषा के लिए एसटी उम्मीदवारों के लिए बैकलॉग वैकेंसी
जानकारी हो कि जुलाई 2018 में जेपीएससी ने नागपुरी भाषा के लिए एसटी उम्मीदवारों के लिए बैकलॉग वैकेंसी के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर के 4 पदों के लिए विज्ञापन निकला था। इसके बाद दस्तावेजों की स्क्रूटनिंग में प्रार्थी को 85 मार्क्स में से 72.10 मार्क्स दिया गया था। लेकिन इंटरव्यू लिस्ट जारी होने पर प्रार्थी का नाम उसमें नहीं आया था। जिसके बाद उनकी ओर से हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की गई थी। जेपीएससी ने 23 दिसंबर 2021 को रिजल्ट जारी किया लेकिन कोर्ट के आदेश के आलोक में एक पद पर रिजल्ट को रोक दिया था। बाद में कोर्ट ने प्रार्थी का रिजल्ट मंगाया था जेपीएससी में सीलबंद रूप में प्रार्थी का मार्क्स कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया था। जिसमें कोर्ट को पता चला कि प्रार्थी उस मैं उस पूरी परीक्षा में सबसे अधिकतम नंबर लाने वाला अभ्यर्थी है। तकनीकी गड़बड़ी के कारण जमा फीस जेपीएससी के खाते में नहीं पहुंच पाया था। दलीलें सुनने के पश्चात अदालत ने आदेश के साथ याचिका निष्पादित कर दी।