पहले खेल पत्रकारिता का अर्थ समाचार पत्र में अंदर कोने में छपे खेल समाचार से था। वहीं अब खेल समाचार उस गुमनामी से निकलकर दो पन्नों में फैल चुका है। यह शारीरीक और मासिक विकास के लिए जरुरी त्तवों में से एक है। जो खेलों की रंग बिरंगी और प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया से आगे बढ़ने को प्रेरित करता है। ये बातें रविवार को विश्व खेल पत्रकारिता दिवस के अवसर पर प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ मुकेश कुमार ने कही। कार्यक्रम आजादी का अमृत महोत्सव श्रृंखला के तहत मौलाना मज़हरुल हक़ अरबी-फ़ारसी विवि पत्रकारिता और जनसंचार विभाग में आयोजित किए गए। डॉ मुकेश कुमार ने कहा कि खेल पत्रकारिता के समक्ष गंभीर पत्रकारिता होने का ढप्पा लगता रहा है। इसके बावजूद खेल पत्रकारों ने अपने गंभीर और खोज परक लेखन से इसे समाचारों का महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया है। खेल व्यक्ति के समग्र विकास के लिए अहम हैं।
विभाग के शिक्षक डॉ रणजीत कुमार ने कहा कि खेल पत्रकारिता ने समाचार परिदृश्य को बदल कर रख दिया है। अब खेल पत्रकारिता एक महत्वपूर्ण आयाम बन गया है। जिसमें खेल पत्रकारों की भूमिका अहम है। विभाग के शिक्षक डॉक्टर निखिल आनंद ने कहा कि टेलीविजन और वेब पत्रकारिता के विकास ने प्रिंट के क्षेत्र में खेल पत्रकारिता के समक्ष नई चुनौतियों को लाकर खड़ा कर दिया है। पाठक समाचार के आने तक उन सूचनाओं को प्राप्त कर चुका होता है। ऐसी स्थिति में खबरों को दिलचस्प बनाए रखना खेल पत्रकारों के लिए महत्वूर्ण हो जाता है। फ़ारसी विभागाध्यक्ष डॉ जमशेद ने विश्व खेल पत्रकारिता दिवस पर कहा कि विश्व खेल पत्रकार दिवस मनाने का एक मुख्य एजेंडा दुनिया भर में खेलों के बारे में जागरूकता पैदा करना है। इंटरनेशनल स्पोर्ट्स प्रेस एसोसिएशन (AIPS) ने 1994 में विश्व खेल पत्रकार दिवस की स्थापना की थी। यह दिन पेरिस में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के दौरान 2 जुलाई को एक संगठन के रूप में AIPS के गठन की याद दिलाती है। जिसके तहत खेल मीडिया पेशेवरों को उनकी उपलब्धियों को लेकर सम्मानित भी किया जाता है। जो किसी भी खिलाड़ी के लिए प्रोत्साहन करने वाला होता है।