झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने एक मामले में आदेश का अनुपालन नहीं करने पर कड़ी नाराजगी जताई है। अधिकारियों की कार्यशैली पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कोर्ट के आदेश को अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। नाराज अदालत ने जल संसाधन सचिव को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी। इस संबंध में कनीय अभियंता जगन्नाथ प्रसाद साह ने अवमानना याचिका दाखिल की है। पूर्व में अदालत ने उनके बकाया भुगतान करने का आदेश दिया था। लेकिन अभी तक आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। जगन्नाथ प्रसाद के खिलाफ दुमका में पदस्थापन के दौरान अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने पर विभागीय कार्रवाई की गई। सजा के दौरान उनकी बेसिक सैलेरी कम कर दी गई। पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने जल संसाधन विभाग के उप सचिव को कोर्ट में सशरीर हाजिर होने का निर्देश दिया था, लेकिन उपसचिव कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। सरकार की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की जा रही है। इसलिए समय दिया जाए। प्रार्थी का कहना था कि उनकी पत्नी की तबीयत खराब थी। इसलिए वे कुछ दिनों तक अनुपस्थित थे। इसके बाद उन्होंने मुख्यालय में योगदान दिया। जहां पर उनका स्थानांतरण किया गया था। वहां विभाग मर्ज कर दिया गया था। अदालत ने प्रार्थी को दी गई सजा के आदेश को निरस्त करते हुए बकाया भुगतान करने का आदेश दिया था।
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