आंगनबाड़ी महिला पर्यवेक्षिका की बहाली आरक्षण, उम्र सीमा छूट, विषय और शैक्षणिक योग्यता अनिवार्यता में शिथिल, मानदेय राशि में वृद्धि, 5वी तारीख तक मानदेय भुकतान सुनिश्चित समेत अन्य मुद्दों पर आंगनबाड़ी सेविका सहायिकाओं ने मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया। दरअसल पूर्ण नियोजित कार्यक्रम के तहत बुधवार को झारखंड राज्य अनुबंन्ध कर्मचारी महासंघ के अनुसंघी संगठन झारखंड राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संघ के बैनर तले प्रदेश भर की आंगनबाड़ी सेविका सहायिकाओं ने अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलन किया। रैली की शुरुआत मोरहाबादी मैदान से हुई। जो रेडियम रोड़, कचहरी चौक होते हुए राजभवन पहुंचा। जिसके बाद यहां पहले से ही पुलिस प्रशासन ने बैरिकेटिंग कर रखा था। जिसके बाद उन्हें आगे बढ़ने नहीं दिया गया। इसके विरोध में आंगनबाड़ी सेविका सहायिकाओं ने जमकर नारेबाजी की और इसके बाद यह रैली धरना प्रदर्शन में तब्दील हो गयी । वही, घेराव स्थल पर आयोजित सभा की अध्यक्षता संघ की अध्यक्ष माला देव, मंच संचालन महासचिव राखी देवी और प्रधान वक्ता के रूप में सुशील कुमार पांडेय मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि सरकार गठन के बाद से सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है। हमारा मकसद घेराव कर मुख्यमंत्री का विरोध करना नहींं है बल्कि राज्य में मुख्यमंत्री को बदनाम करने के लिए जारी साजिश का पर्दाफाश करना है। मुख्यमंत्री के इर्द गिर्द बैठे लोग,सलाहकार जो शकुनि स्वभाव के नौकरशाह हैं। जिनके द्वारा राज्य में मेहनत कस आवाम को उकसाकर अशांति फैलाने का साजिश किया जा रहा है। मुख्यमंत्री को इन लोगो से सावधान रहने की जरूरत है । इस धरना प्रदर्शन के माध्यम से हम आगाह करते हैं कि आप झारखण्ड के अनुबंन्ध कर्मियों के मुद्दे पर अधिकारियों द्वारा उत्पन्न खटास को सौहार्दपूर्ण वातावरण में बैठक कर समाधान करें।
उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह करते हुए कहा कि अधिकारियों से सिर्फ इतना जबाब मांगिये की विकास आयुक्त की अध्यक्षता में बनी उच्चस्तरीय कमेटी ने 4 वर्षो में कितने संविदाकर्मियों का स्थायीकरण और सेवा शर्तों में सुधार किया है। शिक्षकों के ग्रेड पे 4200/4600 से घटाकर 2400/2800 करने की क्या औचित्य है ? आपके चुनावी घोषणा पत्र ,संविदा संवाद के वक्तव्य और पार्टी की विचारधारा से क्या किये गए कार्य मेल खा रहा है ? पोषण सखी ,तेजस्विनी ,स्वच्छ भारत मिशन सहित अनेक संविदा कर्मियों का रोजगार छीन कर राज्य को क्या फायदा हुआ । आखिर संविदाकर्मियों का हर साल सेवा का नवीकरण क्यो किया जाता है । वेतनमान ,समान काम समान वेतन जैसे मुद्दे गौण क्यों है।आखिर कैसी नियमावली बन रही कि एक भी नियुक्ति नहीं हो पा रही है। पड़ोसी राज्य बिहार में 15 दिनों में परीक्षा और परिणाम दोनों आ रहे हैं । उन्होंने कहा कि इन सभी मुद्दों पर मुख्यमंत्री स्वत: संज्ञान लेकर प्राथमिकता दें। जिससे यहां के लोगों को उनका वाजिब हक मिल सके।
मनरेगा कर्मचारी संघ उपाध्यक्ष महेश सोरेन ने मुख्यमंत्री से आग्रह करते हुए कहा कि संविदाकर्मियों के साथ बैठ कर समस्या का समाधान करें। इस विपरीत मौसम के बावजूद बड़ी संख्या में महिलाओं ने पहुंचकर अपनी आवाज को बुलंद किया है। आप इस बात से अंदाजा लगा सकते है कि लोगों में कितना आक्रोश है। हम संविदाकर्मियों ने सरकार बनाई है, हम सब आपके शुभ चिंतक है। आपके खिलाफ जारी अफसरों की षड्यंत्र से हम सब चिंतित है। यही हाल रहा तो हताश संविदाकर्मियों ने अब मोर्चा खोल दिया है। अब फिर से विधानसभा सम्मेलन की शुरुआत हो रही है, जिसका प्रथम चरण दुमका से होगा। इस दौरान कोषाध्यक्ष सीता तिग्गा, माला देवी, सरजी देवी, कोयल उरांव, चंचला देवी, अमला देवी, रीता शर्मा,आरती देवी, रजनी कुमारी, संगीता देवी, जीवन लता सोरेन, मधुलिका डेहरी, भारती पूजा देवी, मीना मरांडी, अमोल बास्की, सुनीता देवी समेत अन्य ने भी अपने विचारों को रखा।