राजधानी रांची के पंडरा में 13 लाख लूट और गोलीबारी कांड का उद्वेदन रविवार को रांची एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा ने कर दिया हैं। इस मामले में रांची पुलिस ने तीन महिला समेत आठ अपराधियों को गिरफ्तार किया हैं। गिरफ्तार अपराधियों के पास से हथियार, लूट के दो लाख 63 हजार रुपये और एक स्कॉर्पियो को बरामद कर लिया गया हैं। वहीं, पुलिस बाकी बची शेष राशि की बरामदगी के लिए लगातार छापामारी कर रही हैं। दवा है कि जल्द ही बचे हुये शेष राशी को भी बरामद कर लिया जायेगा।
कांड का उद्वेदन करते हुये एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि आशीर्वाद आटा कंपनी का एक पुराना कर्मचारी चंद्रशेखर प्रसाद सिन्हा और उसके चार साथियों की गिरफ्तारी कर ली गयी हैं। जिसकी संलिप्ता इस घटना से हैं। गिरफ्तार अपराधियों में राजेश श्रीवास्तव, संतोष सिंह, कारू सिंह और प्रकाश साव के नाम शामिल हैं। राजेश श्रीवास्तव के खिलाफ रांची और रामगढ़ में कुल 12 मामले दर्ज हैं। वहीं, रांची के सुखदेवनगर थाना में चंद्रशेखर सिन्हा के खिलाफ एक और रामगढ़ थाना में संतोष कुमार सिंह के खिलाफ एक मामला दर्ज है।
इस घटना में प्रकाश साव की बहन पूनम देवी, उसकी पत्नी नीलम देवी और चंद्रशेखर सिन्हा की पत्नी प्रीति सिन्हा को भी गिरफ्तार किया गया हैं। दरअसल इन तीनों महिलाओं पर आरोप है कि लूटे पैसे और हथियार छुपाने में मदद करने के साथ-साथ पुलिस को मिस गाइड की थी। एसएसपी ने कहा कि इस घटना में घायल होटल के मैनेजर सुमित अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं। और उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गयी हैं।
उन्होंने कहा कि इस कांड के उद्वेदन के लिए एसआईटी की बड़ी टीम बनायी गयी थी। जहां सिटी एसपी राजकुमार मेहता के नेत्तृव में कोतवाली डीएसपी प्रकाश सोय, डीएसपी दूसरू बान सिंह, कोतवाली थानेदार इंस्पेक्टर आदिकांत महतो, सुखदेवनगर थानेदार इंस्पेक्टर मनोज कुमार, पंडरा ओपी प्रभारी मनोज कुमार, पुंदाग ओपी प्रभारी कृष्णा कुमार, एसटी एससी थानेदार महेश मुंडा, महिला थानेदार रेणुका टुडू, एसआई प्रेम हांसदा, नागेश्वर साव, शंकर टोप्पो, सहावीर उरांव, टेक्निकल सेल से एएसआई फैसल और अजमत कुमार समेत अन्य अधिकारी शामिल थे।
अपराधियों तक कैसे पहुंची एसआईटी टीम..
एसआईटी गठित होने के बाद सबसे पहले सीसीटीवी फूटेज खंगाला गया। इस दौरान पुलिस ने इस कांड से जुड़े एक अपराधी की एक तस्वीर भी जारी की थी। जिसको शहर के चौक चौराहो पर चिस्पा किया गया। इस क्रम में एसआईटी टीम का लगातार छापामारी जारी था। इसी बीच एसआईटी को चार दिसंबर (शनिवार) को एक बड़ा लिड मिला।
जिसमें यह बात समाने आई कि लूटपाट और गोलीबारी की घटना को अंजाम देने वाले तीन अपराधी मोटरसाइकिल पर बैठकर रिंग रोड़ से पिस्का मोड़ की तरफ जा रहा हैं। बस इसी लिड के आधार पर इटकी रोड़ के पास नाका बनाकर गाड़ियों की चेकिंग करनी शुरू कर दी। पुलिस की चेंकिग चल ही रही थी कि मोटरसाइकिल पर बैठकर तीनों लोगों पर नजर पड़ी। पुलिस को देखते ही मोटरसाइकिल सवार हड़बड़ा गया। और उसने वहीं मोटरसाइकिल छोड़ पैदल भगने लगा। जिसके बाद तीनों को पुलिस ने दौड़ाकर धर दबोचा। इस क्रम में तलाशी लेने पर चंद्रशेखर और राजेश श्रीवास्तव के पास से हथियार और जिंदा गोलियां जब्त की गयी।
पुराना कर्मचारी ही निकला मास्टरमाइंड ..
आशीर्वाद आटा कंपनी के 13 लाख रुपये लूटने की साजिश में कंपनी का ही एक पुराना कर्मचारी चंद्रशेखर प्रसाद सिन्हा मास्टरमाइंड निकला। चंद्रशेखर को अनियमितता बरतने के आरोप में दो साल पहले निकाल दिया गया था। जिसके बाद कंपनी ने उसके खिलाफ थाना में एफआईआर भी दर्ज करवाया। इसके बाद से वह बदला लेने की नीयत से लूट कांड की घटना को अंजाम देने की फिराक में था। चंद्रशेखर सिन्हा अपने बयान में इस बात को कबूला है कि वह पहले उसी दुकान में काम करता था।
जिसके वजह से उसे (यानी चंद्रशेखर ) को उस कंपनी के बारे में सब कुछ मामूल था। यानी कब और कितना पैसा कलेक्शन के बाद कंपनी उस पैसे को बैंक में जमा कराने जाती थी। अमूमन सोमवार को ही कंपनी सबसे अधिक पैसा बैंक में जमा करती थी समेत अन्य जानकारियां चंद्रशेखर को मालूम था। पहले इस लूट कांड को 2 दिसंबर को अंजाम देना था। लेकिन उस रोज परिस्थिती अनुकूल नहीं होने की वजह से प्लेन को उन्होंने ड्रॉप कर दिया। जिसके बाद फिर अगले सोमवार के दिन रेकी करने के प्लेन बनी। यानी 30 दिसबंर को लूट और गोलीबारी की घटना को अंजाम दिया गया।
इस तरह चंद्रशेखर ने किया प्लानिंग..
चंद्रशेखर को काम से दो साल पहले हटाया गया था। जिसके बाद से उसके मन से सिर्फ यही चल रहा था कि सबक सीखान हैं। जिसके बाद ने चंद्रशेखर ने प्लानिंग की नींव रखी। सबसे पहले चंद्रशेखर ने रामगढ़ के कुख्यात अपराधी राजेश श्रीवास्तव को संपर्क किया। क्योंकि राजेश श्रीवास्तव ही वह कड़ी था जिसने आगे अन्य अपराधियों को विश्वास में लेते हुये कांड को अंजाम देने के लिए जोड़ने का काम किया। ये दोनों ने सबसे पहले ओरमांझी के वृंदावन होटल चलाने वाले संतोष कुमार से मिलने पहुंचे। और पूरा प्लेनिंग संतोष सिंह के होटल में ही रची गयी। जिसके बाद कांड को अंजाम देने के लिए अपराधियों को इकट्ठा करने का जिम्मा संतोष की थी।
वहीं, मीटिंग में तय हुआ कि लूट के बाद पैसे को कैसे और कहां छुपाने हैं। और किस रास्ते से भागना हैं। जिसके बाद तय प्लेन के अनुसार लाूटकांड को अंजाम दिया गया। दरअसल चंद्रशेखर को यह पता था कि कंपनी में काम करने वाला सुमित गुप्ता कब पैसा लेकर बैंक में जमा करने जाता हैं। उसने इस बात फायदा उठाया। साथ ही कंफर्म भी किया कि कंपनी का मोटा पैसा हर सोमवार को बैंक में जमा होने जाता हैं। इस वजह से लूट का दिन सोमवार को तय किया गया था।
जिसके बाद अपनी प्लानिंग को अंजाम देने के लिए 30 दिसंबर को अपराधियों ने कंपनी और पंडरा स्थित आईसीआईसीआई बैंक के पास रेकी करते रहे। हर सोमवार की तरह कंपनी से दोपहर लगभग 12 बजे के आसपास कैशियर सुमित पैसा जमा करने के लिए कार से आईसीआईसीआई बैंक के लिए निकला। जिसके बाद वहां पहुंचने पर सुमित कार की पिछली की सीट से कैश वाली थैली निकालने के लिए कार की गेट खोली। इस दौरान दो अपराधियों ने उसे कार में धक्का देकर कनपट्टी पर पिस्टल सटा दिया। यह अपराधी कोई और नहीं बल्कि कंपनी का कर्मचारी चंद्रशेखर प्रसाद सिन्हा निकला। कैश से भरा बैग को छीनकर भागने के दौरान होटल मालिक जिनका नाम भी सुमित है, अपराधियों से उलझ गये। इस दौरान हाथापायी के क्रम में चंद्रशेखर ने सुमित को पेट में गोली मार दी। जिसके बाद सभी अपराधी मोटरसाइकिल से फरार हो गये।