श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे इस हफ्ते भारत की पहली आधिकारिक यात्रा पर आ सकते हैं। यात्रा से पहले रानिल मंगलवार को संसद में तमिल नेशनल अलायंस के साथ बैठक करेंगे। सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि इस बैठक में तमिल अल्पसंख्यकों की लंबे समय से लंबित राजनीतिक स्वायत्ता की मांग पर कोई फैसला हो सकता है। मालूम हो कि टीएनए, श्रीलंका के उत्तर और पूर्व की क्षेत्रीय तमिल पार्टियों का गठबंधन है। टीएनए और विक्रमसिंघे के बीच बीते दिसंबर से तमिलों की राजनीतिक स्वायत्ता की मांग पर बातचीत हो रही है। विक्रमसिंघे भारत समर्थित 13वें संशोधन को पूरी तरह से लागू करने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि श्रीलंका के ताकतवर बौद्ध पुजारी वर्ग द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। 13वें संशोधन के तहत तमिलों को कई अधिकार मिलेंगे। भारत भी इसके लिए श्रीलंका पर दबाव बना रहा है। तमिल पार्टियों की ये भी मांग है कि सैन्य उद्देश्य से ली गई उनकी निजी जमीनों को मुक्त किया जाए, तमिल राजनीतिक कैदियों को छोड़ा जाए और संघर्ष क्षतिपूर्ति दी जाए। टीएनए के साथ ही कई तमिल उग्रवादी नेताओं ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखा है कि वह 13वें संशोधन को लागू करने के लिए श्रीलंका पर दबाव बनाएं। श्रीलंका में लिट्टे ने तमिलों के लिए अलग देश की मांग को लेकर लंबे समय तक सैन्य संघर्ष किया था।