गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आरजीटीए ) ट्रांसपोर्ट नगर निर्माण का विरोध करेगा। यह व्यपारी के हित में नहीं है। पूरे शहर में लगभग पांच सौ ट्रांसपोर्टर के दफ्तर है। 40 एकड़ की भूखंड पर मात्र 16 दफ्तर का आवंटन न्यायसंगत नहीं है। इससे बेहतर है कि सरकार ट्रांसपोर्ट नगर के बदले, इसे वाहन पड़ाव घोषित करें। ये बाते रांची गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आरजीटीए ) के प्रवक्ता सुनील सिंह चौहान ने पत्रकारों से बातचीत में कहीं। उन्होंने कहा कि यदि संगठन और परिवहन व्यवसायी वर्ग को सरकार उपेक्षा करेगी, तो इस विषय पर राज्य स्तरीय आंदोलन किया जाएगा।
दरअसल रांची गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसियेशन (आरजीटीए ) ने रविवार को दिगम्बर जैन धर्मशाला में संजय जैन की अध्यक्षता में बैठक की। उन्होंने कहा कि आरजीटीए ट्रांसपोर्ट नगर का पूरी तरह से विरोध करता है। जल्द ही आरजीटीए का प्रतिनिधिमंडल नगर विकास विभाग सचिव से समय लेकर ज्ञापन सौंपेगा। इसके साथ ही निर्माणधीन ट्रांसपोर्ट नगर सुकुरहुटू जाकर मंगलवार को स्थिति की जानकारी ली जाएगी। जिसके बाद विरोध करने को लेकर चरणबद्ध तरीके से आंदोलन की रुप रेखा तय होगी। उन्होंने सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि आज से 20 साल के बाद की परिकल्पना के साथ ट्रांसपोर्ट नगर को बसाना चाहिए। जिससे व्यपारियों के साथ दूसरे वर्गों को भी इसका लाभ मिल सके। सरकार ने अब तक एसोसिएशन से जुड़े लोगों को वार्ता के लिए बुलाया नहीं है। यह एक तरफा फैसला है। ट्रांसपोर्ट नगर सिर्फ आईवॉश है, इससे ज्यादा कुछ नहीं l जिनके लिए ट्रांसपोर्ट नगर बनाया जा रहा है, उनसे ही वार्ता नहीं। यह कहां तक जायज है। ट्रांसपोर्ट नगर का कांसेप्ट छोटा नहीं है। इसे वर्ल्ड क्लास लेवल पर ले जाना है, तो यहां के व्यापारियों के साथ वार्ता कर उनकी जरूरतों को समझनी होगी। 40 एकड़ क्षेत्र किसी भी ट्रांसपोर्ट नगर के लिए बहुत ही कम है। नए युग में गाड़ियों में बदलाव आए हैं। इनकी लंबाई और चौड़ाई बड़ी हो रही है। उस हिसाब से ट्रांसपोर्ट नगर का निर्माण होना चाहिए। बैठक में रणजीत तिवारी, पवन शर्मा, विनय सिंह, एमपी सिंह, राज किशोर सिंह, उदित नारायण सिंह, दीपक सिंह, साहित्य पवन, महेंद्र कुशवाहा, रवीन्द्र नाथ दुबे, धीरज ग्रोवर, एमएल पारिख, सुनील माथुर, कुंदन सिंह , मनीष चौधरी समेत अन्य उपस्थित थे।
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