मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव डॉ मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल इस्सा ने कहा कि भारत में मुसलमानों को देश के संविधान पर गर्व है। यहां साथी नागरिकों के साथ भाईचारे का रिश्ता है। समुदाय का नेतृत्व करने वाले लोग समाज के सक्रिय सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि अगर कुछ मतभेद हैं, तो उन पर संविधान के तहत चर्चा होनी चाहिए। इस्लाम ऐसे किसी भी विचार को खारिज करता है। जो लोगों के बीच संघर्ष को बढ़ावा अथवा आतंकवाद या उग्रवाद को बढ़ावा देता हैं। अल इस्सा ने कहा कि भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी बहुत अहम बैठके हुईं। उन्होंने भारत के संविधान को समावेशी और सर्वव्यापी बताया। उन्होंने कहा कि भारत में रहने वाले मुसलमानों को अपने संविधान से लगाव है। निश्चित रूप से हम कहते हैं कि जिन मुद्दों पर कुछ मतभेद हो सकते हैं, उन मुद्दों पर संविधान के भीतर प्रेम और भाईचारे के ढांचे पर चर्चा की जानी चाहिए। भारत में इस्लामी नेतृत्व को भारतीय नागरिक और भारतीय समाज के सक्रिय सदस्य होने पर गर्व है। अपने साथी नागरिकों के साथ भाईचारा साझा करना महत्वपूर्ण है। और हां उन्हें अपने संविधान पर भी गर्व है।