गुजरात हाईकोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी। उन्हें 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित तौर पर झूठे सबूत पेश किए थे। इससे संबंधित मामले में तुरंत हाईकोर्ट ने आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही जज निर्जर देसाई की अदालत ने सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज कर दी है। उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया क्योंकि वह अंतरिम जमानत हासिल करने के बाद पहले ही जेल से बाहर हैं। बताते चले कोर्ट के आदेश के बाद सीतलवाड़ के वकील की ओर से मांगी गई 30 दिनों की अवधि के लिए आदेश पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया।
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