प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी अमेरिका दौरे में देश को जेट इंजनों के निर्माण की नई क्षमता हासिल होगी। इस दौरे पर अमेरिकी कंपनी जीई के साथ एक समझौता प्रस्तावित है। जिसके बाद भारत को स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस में इस्तेमाल होने वाले जेट इंजन की नयी तकनीक मिल सकेगी। जीई डीआरडीओ की गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टैब्लिशमेंट (जीटीआरई) प्रयोगशाला के साथ इंजन की उत्पादन तकनीक साझा करेगी। यह इसलिए भी अभूतपूर्व है क्योंकि अमेरिका ने यह तकनीक अब तक नाटो देशों के साथ भी साझा नहीं की है। जेट इंजन की उत्पादन तकनीक इसकी लागत का 80% हिस्सा वहन करती है। पीएम मोदी के अगले सप्ताह होने वाले अमेरिका दौरे पर इस समझौते पर दस्तखत हो सकते हैं। तेजस का इंजन विकसित करने की जिम्मेदारी बंगलूरू स्थित जीटीआरई के पास है। इसके लिए कावेरी इंजन विकसित किया है, लेकिन इसमें तकनीकी कमियों के चलते परियोजना में देरी हो रही है। इसलिए जीई के साथ समझौता किया जा रहा है।