लैंगिक न्याय ,समानता और मानवाधिकार आज के वर्तमान परिदृश्य की आवश्यकता हैं। इसे वर्तमान चुनौतियों के संदर्भ में समझने की जरूरत हैं। यह बातें भारतीय सूचना सेवा में उप निदेशक के पद पर कार्यरत संजय कुमार ने कही। दरअसल मंगलवार को मौलाना मजहरुल हक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग की ओर से सेमिनार आयोजित किया गया। जिसका विषय लैंगिक न्याय और मानवाधिकार था। सेमिनार पर बतौर मुख्य अतिथि संजय कुमार ने अपने विचारों को रखा। मानवाधिकार की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुये उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को मानवाधिकार की रक्षा के लिए जागरूक होना चाहिए।
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा में पत्रकारिता और जनसंचार विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ संदीप कुमार वर्मा ने कहा कि कृत्रिम बुद्धि के इस दौर में मानवाधिकारों को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता हैं। उन्होंने लैंगिक न्याय और मानवाधिकार पर कहा कि इन विचारों को अपने जीवन में लागू करना चाहिए। मनुष्यों एक दूसरे के प्रति संवेदनशील बने ताकि मानवाधिकारों का हनन व्यक्ति के स्तर पर नहीं हो। इस दौरान उन्होंने मानवाधिकार और लैंगिक न्याय को सूक्ष्म तौर पर वर्गीकृत करने की आवश्यकता बताई।
वक्ता के तौर पर पत्रकारिता और जनसंचार विभाग के डॉ मुकेश कुमार ने पत्रकार और मानवाधिकार विषय को रेखांकित करते हुये बताया कि किस तरह वर्तमान परिदृश्य में राजनीतिक सत्ता, आर्थिक सत्ता और कट्टरता ने पत्रकारों के मानवाधिकारों का हनन किया हैं।सेमिनार की अध्यक्षता करते हुये शिक्षा विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ मुक्ता सिन्हा ने लैंगिक भेदभाव और उससे होने वाले मानवाधिकारों के हनन के बारे में बताया।
वहीं, कार्यक्रम की रूपरेखा शिक्षा विभाग की डॉ चन्द्रेश्वरी ने रखी। सेमिनार में लगभग एक दर्जनों विद्यार्थियों ने लैंगिक न्याय और मानवाधिकार के विभिन्न पहलुओं पर पत्र प्रस्तुत किये। इस सत्र का संचालन ऋचा आर्य ने की। इस अवसर पर डॉ रणजीत, डॉ जावेद, शंभु शरण, रत्नसेन, मासूम,तबिश, धरित्री, सुमैया, एहतेशाम, संजर, सुमन, सदा,पूजा, रूखसार, सगूफ़्ता, शोभा, मोना, शाहनवाज, याहिब, सरहद, प्रतिभा, प्रियंका समेत अन्य उपस्थित थी।