टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार (9 अक्टूबर) को देर रात निधन हो गया। मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांसें ली। बीते सोमवार को बढ़ती उम्र से जुड़ी तकलीफों के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिसके बाद से ही उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। जानकारी के अनुसार उनके ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट होने लग गयी थी। जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस दौरान उनकी तबीयत अचानक बिगड़ने लगी, जिसके बाद उन्हें आईसीयू में ट्रांसफर कर दिया गया था, जहां 86 साल की उम्र में आखरी सांसे ली।
दरअसल रतन टाटा को उनके सामाजिक कार्यों के लिए भी जाना जाता था। वह टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन थे, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी उन्मूलन जैसे क्षेत्रों में काम करता हैं। रतन टाटा को उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया था।
टाटा समूह की बागडोर रतन टाटा ने मार्च 1991 से दिसंबर 2012 तक अपने हाथों में रखा। इस दौरान उन्होंने टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। आज टाटा ग्रुप नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाली कंपनी में शुमार हैं। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया। टाटा समूह आज देश के सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में से एक है। वहीं, दिसंबर 2012 के बाद उनकी जगह पर साइरस मिस्त्री ने पदभार संभाला, जिनका 2022 में एक कार दुर्घटना में निधन हो गया था।
वहीं, रतन टाटा ने अपने नेतृत्व में टाटा समूह को एक अगल पहचान दिलाई। उन्होंने कई बड़ी विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण किया, जिसमें टेटली, जगुआर लैंड रोवर और कोरस जैसी कंपनियां शामिल हैं। इस दौरान रतन टाटा ने टाटा ग्रुप को मुख्य रूप से घरेलू कंपनी से वैश्विक पावर हाउस में बदल दिया। उनके नेतृत्व में टाटा एक सौ बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के वैश्विक व्यापार साम्राज्य में विकसित हुआ।
रतन टाटा का जन्म 1937 में..
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से हासिल की। इसके बाद उन्होंने अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री ली। टाटा समूह में शामिल होने से पहले रतन टाटा ने अमेरिका में कुछ समय तक काम किया। जिसके बाद 1981 में उन्हें टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया। 1991 में जेआरडी टाटा के रिटायरमेंट के बाद 1991 में रतन टाटा ने चेयरमैन का पद संभाला।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर जताया शोक..
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया हैं। वहीं, मुख्यमंत्री ने स्व. रतन टाटा के असामयिक निधन पर एक दिन का राजकीय शोक की घोषणा की हैं। मुख्यमंत्री ने दु:ख मन से संवेदना प्रकट करते हुये कहा कि रतन टाटा देश के अनमोल रत्न थे। उन्होंने उद्योग जगत के साथ-साथ समाजसेवा एवं परोपकार के क्षेत्र में भी देश और दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ी हैं। जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। वे एक सच्चे राष्ट्रवादी थे। उनका जीवन उपलब्धियों से भरा रहा हैं। रतन टाटा एक-एक देशवासियों के दिलों में राज करते थे। इनका निधन राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति हैं।