सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पूर्व डिप्टी सेक्रटरी सौम्या चौरसिया को राहत प्रदान की हैं। सौम्या चौरसिया पर मनी लॉन्ड्रिंग केस का आरोप लगा था। जिसकी जांच ईड कर रही है। इसी मामले में जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच ने सौम्या चौरसिया को अंतरिम जमानत दे दी हैं। यह फैसला कोर्ट ने सौम्या के जेल में बिताये गये समय और केस में अबतक आरोप तय नहीं होने पर सुनाया हैं। दरअसल सौम्या चौरसिया पर कोयला घोटाले में शामिल होने का आरोप है। जिसके वजह से वह पिछले एक साल नौ महीने से जेल में बंद थीं।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मामले पर साफ कहा कि अंतरिम जमानत प्रदान की गयी हैं। अभी छत्तीसगढ़ सरकार सौम्या को उनके पद पर बहाल नहीं करें। अगले आदेश तक उनका निलंबन जैसे है वैसा ही रहेगा। वहीं, कोर्ट ने बिना आरोप तय किये आरोपियों को जेल में बंद रखने और ईडी के काम काज पर नाराजगी जताई हैं।
जस्टिस भुयान ने कहा कि बिना आरोप तय आप किसी को कब तक जेल में रख सकते हैं? पीएमएलए केस में सजा की दर क्या है? जस्टिस भुयान ने ईडी से यह भी पूछा कि क्या वह किसी आरोपी को सालों तक जेल में रख सकता है? सौम्या चौरसिया की ओर से सीनियर ऐडवोकेट सिद्धार्थ दवे, ऐडवोकेट पल्लवी शर्मा व हर्षवर्धन पनगनिहा और ईडी की तरफ से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अपना-अपना पक्ष रखा। बता दें कि पिछले साल 14 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सौम्या चौरसिया को जमानत देने से साफ इनकार कर दिया था।
क्या है मामला..
ईडी के अनुसार 16 महीनों में कोयला घोटाले कर कुल 500 करोड़ रुपये का घपला हुआ था। जहां केंद्रीय एजेंसियों ने दावा किया कि इन रुपयों का इस्तेमाल चुनावी फंड और रिश्वत के तौर पर किया गया था। इन आरोपों को सौम्या चौरसिया ने निराधार बताया। उनके अनुसार कथित घोटाले में कोई ठोस सबूत या सक्ष्य नहीं है। उनके पास से कोई पैसा भी रिकवर नहीं हुआ हैं।