झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को संथाल परगना के छह जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ मामले को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर एक्टिंग चीफ जस्टिस एसएन प्रसाद और जस्टिस एके राय की खंडपीठ में सुनवाई हुई। झारखंड के संथाल परगना यानी पाकुड़, दुमका, साहिबगंज, जामताड़ा, देवघर और गोड्डा में बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से बदल रहे डेमोग्राफी मामले पर दानिश ने जनहित याचिका दाखिल किया हैं। जिसपर आज सुनवाई हुई ।
इस मामले पर सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा। इस दौरान उन्होंने कोर्ट को बताया कि घुसपैठ मामले में केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारियों को एक साथ बैठक करनी होगी। जिसमें अलग-अलग एजेंसियों को शामिल किया जाना हैं। बैठक और विचार विमर्श के बाद ही शपथ पत्र दाखिल किया जा सकता हैं। इस पूरी स्थिती को देखते हुये तुषार मेहता ने समय मांगा। जिसके बाद सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया के आग्रह पर खंडपीठ ने एक सप्ताह का समय प्रदान किया। वहीं,अब इस मामले में 12 सितंबर को सुनवाई की तारीख निर्धारित हुई।
बाता दें कि इससे पूर्व बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर छह जिलों के उपायुक्तों ने शपथ पत्र दाखिल कर दिया हैं। जहां संबंधित जिलों के उपायुक्तों के शपथ पत्र के माध्यम से बांग्लादेशी घुसपैठ नहीं होनी की बात कही हैं। जिसके बाद हाईकोर्ट ने (22 अगस्त ) को इस मामले में कई सवाल पूछे थे। जिसमें कोर्ट ने कहा था कि शपथ पत्र के मुताबिक बांग्लादेशी घुसपैठ नहीं हुई हैं तो, अब यह बताये कि वहां (संथाल) आदिवासियों की संख्या में कमी क्यों आ रही हैं। इस बात का जिक्र शपथपत्र में क्यों नहीं हैं।
कोर्ट ने जानना चाहा कि किस-किस परिस्थिती में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (आधार) जारी हुये। क्या इसका पैमाना जमीन कागजात था, जिसके तहत इसे जारी किया गया हैं। जिसके बाद कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि मतदाता सूची बनाने का मापदंड क्या था। किस हालात में यह सूची बनाई गयी हैं।
वही, खंडपीठ ने आठ अगस्त के आदेश का उल्लेख करते हुये उपायुक्तों की ओर से दाखिल शपथ पत्र पर आश्चर्य जताया कि जवाब तक नहीं है कि 1951 में आदिवासियों की 44.67 प्रतिशत संख्या घटकर 2011 के दौरान 28.11 प्रतिशत तक ही क्यों हो गयी। जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर वैध डाटा हाजिर करने का आदेश दिया था। खंडपीठ ने यह भी कहा कि सीएनटी एक्ट के तहत भूमि का हस्तांतरण मामले पर संबंधित विभाग एक अलग से शपथ पत्र दाखिल करें। जिसमें भूमि हस्तांतरण से जुड़े सभी पहलुओं पर जावाब होनी चाहिए।