मनरेगा कर्मियों ने बुधवार को ग्रामीण विकास मंत्री इरफान अंसारी के सरकारी आवास को घेर रखा हैं। जिसके बाद अब मांगों के समर्थन में इनका अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरु हो गयी हैं। दरअसल दो सूत्री मांगों को लेकर मनरेगा कर्मी पिछले 45 दिनों से चरणबद्ध रुप से आंदोलनरत हैं। जिसके अब थक हार कर मनरेगा कर्मी मंत्री के आवास के बाहर ही बैठ गये हैं। झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के बैनर तले मांगों के समर्थन में अनिश्चितकालीन हड़ताल किया जा रहा हैं। दरअसल स्थाईकरण और वेतनमान को लेकर मनरेगा कर्मी आंदोलन कर रहे हैं।
संघ के अध्यक्ष जॉन पीटर बागे ने कहा कि सचिवालय से लेकर पंचायत सचिवालय तक मनरेगा कर्मी कार्यरत हैं l जहां मनरेगा कर्मियों को दो भागों में विभाजित किया गया हैं l एक मनरेगा कोषांग जो जिला से ऊपर सचिवालय में कार्यरत हैं। तो वही दूसरी प्रखंडों से लेकर पंचायत तक क्षेत्रीय मनरेगा कर्मी है l सभी को मनरेगा योजना मद के 6 प्रतिशत प्रशासनिक मद से मानदेय भुगतान किया जाता हैं l मनरेगा कोषांग के सभी कर्मियों को ग्रेड पे दिया जाता है, लेकिन क्षेत्र के कर्मियों को सिर्फ अल्प मानदेय से ही संतोष करना पड़ रहा हैं। इसी को लेकर विरोध किया जा रहा हैं।
उन्होंने कहा कि मनरेगा कर्मियों की नियुक्ति 2007 में हुई थी। और मनरेगा कोषांग कर्मियों की नियुक्ति 2010 में l दोनों के नियुक्ति नियमावली बिल्कुल ही एक हैं l अन्तर सिर्फ मानदेय और ग्रेड पे को लेकर हैं l उन्होंने कहा कि ग्रेड पे के लिए वित्त विभाग का संकल्प भी हैं l इसमें किसी भी तरह की कोई तकनीकी दिक्कत नहीं है l इसके बावजूद हम लोगों के हक को नहीं दिया जा रहा हैं।
सरकार की इच्छा शक्ति और मंशा साफ नहीं है। अगर रहती तो इस मामले को त्वरित आधार सुलझा लिया जाता। इन सब वजहो से थक हार कर मंत्री के आवास के बाहर बैठे हुये हैं। अब तक हम लोगों से वार्ता की पहल नहीं की गयी हैं। अगर मांगों पर पहल नहीं की गयी तो, जरुरत पड़ने पर हम टेंट तब्बू लगाकर यहीं बैठ जायेगे। हमारी मांग वेतन बढ़ोतरी नहीं बल्कि स्थाईकरण और वेतनमान हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार सचिवालय में काम करने वाले मनरेगा कर्मियों को ग्रेड पे की मलाई परोस रही हैं। वहीं, प्रखंड और पंचायत में काम करने वाले मनरेगा कर्मियों को अपने परिवार चलाने में आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हैं। महंगाई के इस दौर में बच्चों की शिक्षा, इलाज और भरण पोषण में मुश्किले आ रही हैं।
उन्होंने कहा कि गिरिडीह जिला के रोजगार सेवक रणजीत कुमार राम की आर्थिक तंगी के वजह से इलाज के अभाव में आज मृत्यु हो गयी। लेकिन सरकार के पास उन्हें मुआवजा देने का प्रावधान नहीं हैं। उन्होंने सरकार से मांग करते हुये कहा कि अबतक मृत सभी मनरेगा कर्मोयों को उचित मुआवजा के साथ-साथ अनुकंपा के आधार पर आश्रित को नौकरी दिया जाये।
प्रवक्ता अभिमन्यु तिवारी ने कहा कि मनरेगा कर्मियों को विगत 17 सालों से ठगने का काम किया जा रहा हैं। सरकार मांगों के प्रति संवेदनाहीन हो चुकी हैं। विधानसभा चुनाव में मनरेगा कर्मियों की दुआ और बद्दुआ दोनों ही कारगर हैं। मनरेगा कर्मी सालों से स्थाईकरण एवं वेतनमान की मांग कर रहे हैं। सरकार हमारी मांगों के प्रति संवेदनशील नहीं हैं। हमारी मांगे नियमानुकूल और न्यायोचित हैं।
संगठन मंत्री लतीफ अंसारी ने कहा कि मनरेगा कर्मियों के सब्र का बांध टूट गया हैं। यदि जल्द ही हमारी मांगों पर पहल नहीं किया गया तो, राज्य भर के मनरेगा कर्मी आमरण अनशन के साथ इच्छा मृत्यु की मांग करेंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री से आग्रह करते हुये कहा कि मनरेगा कर्मियों से वार्ता कर मांगों को पूरा करें। नहीं तो बाध्य होकर मनरेगा कर्मी हड़ताल पर डटे रहेंगे। मौके पर संजय प्रमाणिक, जितेंद्र झा, विकास पांडे, देवेंद्र उपाध्याय, सुमंत गांगुली, उदय पांडे, सत्यम सिंह, अभय खलखो, बसंत टुडू, जयदेव मुर्मू, नरेश सिंह, विनोद विश्वकर्मा, बसंत सिंह, शिवदेव लोहरा, नन्हे परवेज समेत अन्य उपस्थित हैं।