मानव तस्करी करने वाले गिरोह पर झारखंड सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच ने बड़ा खुलसा किया हैं। इसमें साइबर क्राइम ब्रांच को सफलता हाथ लगी हैं। दरअसल पूरा मामला मानव तस्करी रैकेट से जुड़ा हुआ हैं। जहां इस गिरोह से जुड़े दो सदस्यों की गिरफ्तारी हुई हैं। यह गिरोह बेरोजगार युवकों को अपना शिकार बनाता था। बेरोजगारों को विदेशों में नौकरी देने के नाम पर झांसा दिया जाता था। और यहां से गिरोह का खेल शुरु हो जाता था। विदेश ले जाने के बाद फिर इन युवकों से जबरदस्ती साइबर क्राइम करवाये जाते थे।
दरअसल इस मामले का खुलासा तब हुआ जब इस संबंध में सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच में एक पीड़ित परिवार के परिजनों ने एफआईआर दर्ज करवायी थी। जब सीआईडी की क्राइम ब्रांच टीम ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुये छानबीन शुरु की, तो इस गिरोह के पूरे खेल से पदा उठा। सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने साइबर क्राइम में इस्तेमाल के लिए युवाओं की तस्करी करने वाले दो एजेंटों को गिरफ्तार कर लिया हैं। गिरफ्तार किये गये एजेंट का नाम गिरिडीह का रहने वाला वसीम खान और कोडरमा से यमुना कुमार राणा हैं। इन दोनों ने पूछताछ में कई चौंकाने वाले अहम खुलासे किये हैं।
बेरोजगारों के पहचान पत्र अपने पास रख लेते हैं एजेंट
सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार झारखंड के बेरोजगारों को वियतनाम और थाईलैंड के रास्ते कंबोडिया भेजा जाता हैं। एक बार विदेश पहुंचने के बाद बेरोजगार युवाओं को साइबर से जुड़े ठगी की बारिकियों के बारे में ट्रेनिंग दी जाती थी। जहां उनका फर्जी सोशल अकाउंट क्रिएट किया जाता था। जिसके बाद ठगी और फरेबी का प्लॉट बनाया जाता था। जिसमें आकर्षक इन्वेस्टमेंट, ठगी के लिए लोगों से संपर्क के बारिकियों से इन्हें रु-ब-रु कराये जाते थे।
वहीं, दूसरे देश में पहुंचने पर झारखंड के युवाओं को साइबर ठगी की दुनिया में धकेल दिया जाता था। विदेशी साइबर अपराधी सुनोयोजित तरीके से इस युवाओं के पासपोर्ट समेत अन्य दूसरे तरह के पहचान पत्र अपने पास रख लेते थे। ताकि वे भाग नहीं पाये।