सुप्रीम कोर्ट नेे शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक्साइज पॉलिसी केस में बड़ी राहत दी है। ईडी की गिरफ्तारी वाले मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के केस को बड़ी बेंच में शिफ्ट कर दिया है। यानी अब तीन जजों की पीठ के सामने इस केस पर सुनवाई होगी।
वहीं, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलने के बावजूद अब भी वे जेल में ही रहेगे। दरअसल सीबीआई ने एक अलग मामले में उन्हें गिरफ्तार किया है।
इसी मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में आगामी 17 जुलाई को सुनवाई की जानी है। जब इस मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पक्ष में कोई फैसला आयेगा। इसके बाद ही केजरीवाल तिहाड़ जेल से बाहर रिहा हो सकेगे। फिलहाल उन्हें और पांच दिनों तक तिहाड़ में रह कर ही इंतजार करना पड़ेगा।
अरविंद केजरीवाल के वकीलों के अनुसार बड़ी बेंच में सुनवाई के दौरान तक अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत प्रदान की गयी है। सुप्रीम कोर्ट के सेक्शन 19 के परीक्षण के दौरान कोर्ट ने इस पर फैसला किया कि क्या इस मामले में गिरफ्तारी की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल पहले ही काफी दिनों तक जेल में रह चुके हैं। इसलिए ईडी इस मामले में उन्हें तुरंत उन्हें रिहा करें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जीवन के अधिकार का सवाल है। अरविंद केजरीवाल 90 दिनों से अधिक समय से जेल में बंद हैं। वे एक निर्वाचित नेता हैं।
यह उन पर निर्भर करता है कि वे इस पद पर बने रहना चाहते हैं अथवा नहीं। चूंकि मामला बड़ी बेंच को , इसलिए हम अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश देते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा …..
1. हमने जमानत के मुद्द की जांच नहीं की है। हमने धारा 19 पीएमएलए के मापदंडों की जांच की है। हमने धारा 19 और धारा 45 के बीच के अंतर को समझाया है। अधिकारियों की धारा 19 सब्जेक्टिव राय है। यह न्यायिक समीक्षा के ही अधीन है। वहीं, अदालत धारा 45 का इस्तेमाल करती है।
2. हम चिंतित हैं कि धारा 19 पीएमएलए के अनुरूप है। हम गिरफ्तारी की जरूरत और आवश्यकता पर विचार कर रहे हैं। हमने महसूस किया कि क्या गिरफ्तारी की जरूरत और आवश्यकता को धारा 19 में पढ़ा जा सकता है। जो आनुपातिकता के सिद्धांत के आधार पर बड़ी बेंच को भेजा जाता हैं।
3. क्या जरूरत और आवश्यकता गिरफ्तारी के औपचारिक मापदंडों के बारे में है। व्यक्ति को ध्यान में रखती है। क्या इसे धारा 19 पीएमएलए में पढ़ा जा सकता है और फिर आधार जिन पर अदालत गौर करेगी। हमने माना है कि केवल पूछताछ से गिरफ्तारी की अनुमति नहीं मिलती।
4. जीवन के अधिकार का सवाल है। चूंकि मामला बड़ी बेंच को भेजा गया है। हम अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश देते हैं।
5. अरविंद केजरीवाल 90 दिनों से अधिक समय तक जेल में रहे। वह एक निर्वाचित नेता हैं। यह उन पर निर्भर है कि वह इस पद पर बने रहना चाहते हैं अथवा नहीं।