जिस मनीष की तलाश थी, उसे ईडी ने खोज निकाला है। अब उमेश की बारी है। दरअसल सस्पेंस को खत्म करते हुए ईडी ने आईएएस अधिकारी मनीष रंजन को समन जारी कर दिया है। पूछताछ के लिए उन्हें एयरपोर्ट रोड़ स्थित ईडी कार्यालय में 24 मई को हाजिर होने के लिए कहा गया है। आप सोच रहे होगे कि आईएएस अधिकारी मनीष रंजन को क्यों बुलाया गया है। दरअसल उस वक्त ग्रामीण विकास विभाग के तत्कालीन सचिव मनीष रंजन रहे थे।
वहीं, झारखंड में हाल के तीन वर्षों में घोटाले को लेकर दो आईएएस अधिकारी होटवार जेल पहुंच चुके है। इस लिस्ट में वरिष्ट आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल और रांची उपायुक्त छवि रंजन का नाम शामिल है। ईडी टेंडर घोटाले में पैसों के बंटवारें वाली डायरी में लिखे एम (M) और एस (S) कोडिंग के बारे में जाना चाहती है। जिसको लेकर सचिव रैंक के अधिकारी मनीष रंजन को ईडी ने तलब किया है। बताते चले ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम, मंत्री के पीएस संजीव लाल, निलंबित मुख्य अभियंता बीरेंद्र राम के बाद अब विभाग के तत्कालीन सचिव रहे मनीष रंजन को समन देकर बुलाया गया है।
जहांगीर आलम के घर से बरामद डायरी में लेन देन के साथ एम और एच कोड की उलझन
ईडी ने कोर्ट में एक डायरी जमा किया है। इस डायरी को जहांगीर आलम के घर से बरामद की गयी थी। ईडी ने डायरी के कुछ पन्ने भी कोर्ट को सौंपेे हैं। दरअसल मंगलवार (21 मई) को कोर्ट में सौंपे दस्तावेज में ईडी ने बताया कि मंत्री आलमगीर आलम के लिए कमीशन की रकम को लेकर एक डायरी मेंटेन की जाती थी। जिसमें कोड वर्ड एम और एच का इस्तेमाल किया गया है। एम का मतलब मिनिस्टर और एच का मतलब ऑनरेबल था। वहीं, एम (मनीष), एस (संजीव लाल), टीसी (टेंडर कमेटी), सीइ (चीफ इंजीनियर) जैसे कोड वर्ड के इस्तेमाल का भी जिक्र है।
इसके साथ ही ईडी ने डायरी के एक पेज को कोर्ट में जमा किया है। जिसमें 9 से 19 जनवरी तक के 25 ठेकों का जिक्र है। प्रत्येक डिवीजन में किस कंपनी को ठेका, किस कंपनी ने कितना भुगतान समेत अन्य गतिविधियों के बार लिखा हुआ है। इसके साथ ही विवरण में भुगतान का कितना हिस्सा मंत्री को मिला, ये भी मौजूद है। इस डायारी में एम कोड वाले के साथ 123 लाख का जिक्र हैं। तो वहीं, कुल कलेक्शन करीब 223.77 लाख का रहा है। हिसाब-किताब में मनीष और उमेश नाम के शख्स का भी जिक्र है। डायरी के एक पन्ने में मनीष को 4.22 करोड़ और उमेश को 5.95 करोड़ रुपये देने का स्पष्ट रुप से लिखित है।
ईडी ने विभाग के चीफ इंजीनियर बीरेंद्र राम को पहले किया था गिरफ्तार ..
ईडी ने झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग में कमीशनखोरी व टेंडर घोटाले मामले में पहले चीफ इंजीनियर बीरेंद्र राम को गिरफ्तार किया। जिसके बाद पूछताछ के दौरान ईडी को मिले इनपुट्स के आधार पर झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल और उसके नौकर जहांगीर समेत अन्य ठिकानों पर छापेमारी कर तकरीब 37 करोड़ रुपए जब्त किए। इसके बाद इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ की गयी थी।
जिसके बाद ईडी ने झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को 14 मई (मंगलवार) को एयरपोर्ट रोड़ स्थित ईडी ऑफिस समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया था। जिसमें पीएस संजीव लाल के नौकर के ठिकानों से मिले 32 करोड़ 20 लाख रुपये कैश समेत कमीशन मामले में दो दिनों तक पूछताछ की। वहीं, ईडी ने मंत्री से पहले दिन तकरीबन नौ घंटे तक पूछताछ की। इस दौरान ईडी को अपने सवालों का संतुष्ट जवाब नहीं मिला। जिसके बाद बुधवार (15 मई) को फिर से आने की बात कह कर उन्हें घर जाने की अनुमति दी गयी। वहीं, दूसरे दिन मंत्री आलमगीर आलम को तकरीबन छह घंटो तक पूछताछ के बाद देर शाम गिरफ्तार कर लिया गया। जिसके बाद से मंत्री आलमगीर आलम रिमांड पर है। वहीं, ईडी ने अब विभाग के तत्कालीन सचिव रैंक के अधिकारी मनीष रंजन को पूछताछ के लिए बुलाया है।
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