हाईकोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय एवं जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में बुधवार को रिम्स में बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने, बुनियादी सुविधा दिलाने, एमआरआई मशीन सहित अन्य चिकित्सा उपकरण को ऑपरेशनल रखने को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान रिम्स निदेशक कोर्ट में उपस्थित हुए। कोर्ट ने उनको चार सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट शपथपत्र के माध्यम से दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट को बताया गया कि रिम्स में एक एमआरआईआर मशीन पीपी मोड़ में चल रहा है। कोर्ट ने निदेशक से पूछा कि रिम्स में क्या-क्या सुधार और किया जाना चाहिए। इस पर भी जवाब मांगा गया है। रिम्स निदेशक ने कोर्ट को जानकारी दी कि प्राइवेट प्रैक्टिस करनेवाले रिम्स के डॉक्टरों का पता लगाना मुश्किल हो रहा है।
कोर्ट ने कहा कि रिम्स के मेडिकल विभागों को दुरुस्त कराने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा रहे हैं। इस पर जवाब मांगा गया है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान रिम्स निदेशक को कोर्ट ने तलब किया था। उसी आदेश पर निदेशक कोर्ट पहुंचे थे। खंडपीठ ने बीते 13 मार्च को रिम्स निदेशक को शपथपत्र के माध्यम से रिम्स में एमआरआई मशीन सहित कितनी चिकित्सा मशीन फंक्शनल है और कितनी मशीने अभी खराब है, मशीनों को चलाने के लिए टेक्नीशियल है या नहीं समेत अन्य बिन्दुओं पर कोर्ट ने जानकारी मांगी थी। लेकिन इसका जवाब दाखिल नहीं किया गया था। मालूम हो कि प्रार्थी ने रिम्स की व्यवस्था में सुधार का आग्रह किया है। जिसमें कहा गया है कि रिम्स में चिकित्सक नन प्रैक्टिसिंग अलाउंस लेते हैं, लेकिन वे बाहर के क्लिनिक में भी प्रैक्टिस करते हैं। रिम्स में एबीजी मशीन का टेंडर निलता है लेकिन चार साल में यह लगातार रद्द होता रहा है। इससे रिम्स के बाहर के प्राइवेट क्लिनिक संचालकों को लाभ मिलता है। यह जनहित याचिका ज्योति शर्मा की ओर से दायर की गई है।