रमजान कुरैशी (लेखक सह समाजसेवी रांची)
इस्लाम एक पाक, मुकद्दस मज़हब है.. इस्लाम ने हमेशा इंसानों को मोहब्बत का पैगाम दिया है, चाहे वह किसी भी मज़हब का हो, इस्लाम की नजर में सभी इंसान एक है। इस्लाम की बुनियाद धार्मिक ग्रंथ “कुरानशरीफ़ ” और “हदीस” है । इन दोनों ग्रंथो ने हमें जो पैगाम दिया है, वही इस्लाम की असल जान है । इंसानी बराबरी ,भाईचारे, आपसी हमदर्दी और मोहब्बत का.. जो सबक इस्लाम ने दिया है, वह कयामत तक याद रखा जाएगा । आज के इस ज़माने में जहां चारों तरफ से सामानता की आवाज़ उठ रही है, यह सिर्फ झूठे नारे है, इसलिए खोखले साबित हो रहे हैं , कहीं अम्ल होता नहीं दिखता।
हाईलाइट
भाई को प्यार से गले लगा कर जीने का नाम है इस्लाम..
इस्लाम एक पाक और मुकद्दस मजहब है..
दुनिया के सारे इंसान चाहे वह कोई भी धर्म के हो,सब आदम की औलाद है..
पैगंबरे इस्लाम मुहम्मद सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने सिर्फ नारे नहीं दिए (आज से 1400 साल पहले ) खुद अमल करके दुनिया के सामने मिसाल पेश की, जिसे कयामत तक याद रखा जाएगा । कुरानशरीफ में अल्लाह ने फरमाया ए लोगो मैंने तुम्हें एक जान हजरत आदम अलैहिस सलाम से पैदा किया है… इसका मतलब है कि दुनिया में जितने भी इंसान है, वह चाहे किसी भी धर्म और मजहब के मानने वाले क्यों ना हो.. वह सब दादा आदम अलै की औलाद है। जब सारे इंसान एक ही बाप की औलाद है.. तो फिर ऊंच नीच का ख्याल पैदा नहीं हो सकता । सामानता और एकता की इसे ठोस मिसाल ( सबक) और क्या हो सकता है ।
अल्लाह पाक पूरी इंसानी बिरादरी को एक सफ में शामिल करके भाई -भाई बनकर मोहब्बत से रहने – जीने की( आदेश ) ताकीद फरमा रहा है ,लेकिन हम क्यों इसे नहीं समझ पा रहे हैं! बिलाल हब्सी रजी, उमर रजि, अबू बकर रजि, एक ही सफ में खड़े होकर बंदगी का हक अदा किया और मोहब्बत का पैगाम दुनिया को दिया.. मोहब्बत के इस जज्बे को बढ़ावा देने के लिए रसूल रहमत ने फरमाया -“सारी मखलूक खुदा की पैदा की हुई चीज है.. अल्लाह का कुनबा है , इंसानों की खिदमत और उनकी मोहब्बत ही इंसान को खुदा के करीब ले जाती है.. अल्लाह हमें इस्लाम के पाक उसूलों पर चलने की तौफीक अता करें ,और मुसलमान को इस्लामी सोच अता फरमाए। मेरा यह आर्टिकल लिखने का सिर्फ एक मकसद है.. आपस में प्यार बढ़ाना और भाई के साथ भाई के जैसा रहना है। मेरे इसको लिखने का मतलब किसी को तकलीफ या दिल में ठेस पहुंचाना नहीं है….
(ये लेखक के अपने विचार हैं)