गाजीपुर में कड़ी सुरक्षा के बीच मुख्तार अंसारी को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। कालीबाग कब्रिस्तान में उसका कब्र उसके माता-पिता के बगल में बनी है। इस दौरान भारी संख्या में समर्थकों की भीड़ उमड़ी। जनाजे की नमाज के दौरान लोगों ने कब्रिस्तान के भीतर जाने के लिए मशक्कत कर रहे थे। बेटे उमर अंसारी और उसके भाई अफजाल अंसारी की मौजूदगी में सुपुर्द-ए-खाक की प्रक्रिया पूरी की गयी। इस दौरान कालीबाग कब्रिस्तान और आसपास में पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों की भारी संख्या में तौनाती की गयी।
वही, उस दौरान पुलिस अधिकारी माइक लेकर लोगों को मेन गेट से हटने समेत तमाम हिदायत दे रहे थे। माफिया मुख्तार अंसारी को दफनाए जाने के बाद गाजीपुर सांसद और उसके भाई अफजाल अंसारी कब्रिस्तान से बाहर निकले। जिसके बाद उन्होंने प्रशासन से मांग की लोगों को भीतर जाने दिया जाए। इसके बाद धीरे-धीरे लोगों को भीतर जाकर मिट्टी डालने का मौका दिया गया। वही, मुख्तार के बहनोई व्हील चेयर से कब्रिस्तान पहुंचे। वे भी मिट्टी डालकर सुपुर्द-ए-खाक में शामिल हुए।
इससे पहले गुरुवार की देर रात मुख्तार अंसारी के निधन के बाद शुक्रवार को पूरे दिन पूर्वांचल के माफिया की बांदा मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी की गयी। जिसके बाद शाम को मुख्तार का शव परिजनों को सौंपा गया। बांदा मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम के बाद शव के साथ 26 वाहनों का काफिला गाजीपुर के लिए निकला। माफिया डॉन का शव देर रात गाजीपुर स्थित घर पहुंचा। कड़ी सुरक्षा के बीच मुख्तार अंसारी का काफिला प्रयागराज के रास्ते भदोही, वाराणसी, चौबेपुर होते हुए देर रात गाजीपुर पहुंचा। इस दौरान शव पहुंचने से पहले ही घर के आसपास की सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी। लॉ एंड ऑर्डर को लेकर गाजीपुर डीएम आर्यका अखौरी और एसपी ओमवीर सिंह ने मोर्चा संभाल रखा था।
पत्नी अफशां नहीं पहुंची
मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी सुपुर्द-ए-खाक में शामिल होने नहीं पहुंची। दरअसल अफशां के खिलाफ 75 हजार रुपये का इनाम घोषित है। वह वांचित है। अगर वह जनाजे में शामिल होती, तो पुलिस पकड़ लेती। इस वजहों से अफशां अंसारी जनाजे में शामिल होने घर पर नहीं आ पाई।