झारखंड हाईकोर्ट में बुधवार को जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की खंडपीठ में झारखंड विधानसभा नियुक्ति मामले में दोषी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने पूछा कि जांच के लिए कमेटी का गठन कैसे किया गया। जिस पर महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि राज्यपाल के आदेश पर राज्य सरकार के द्वारा आयोग का गठन किया गया। जिसपर अदालत ने राज्य सरकार को जांच रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा है। इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को निर्धारित की गई है। पूर्व में झारखंड हाई कोर्ट ने यह जानना चाहा था कि जब एक आयोग का गठन किया गया जांच रिपोर्ट दे दी गई तब फिर दूसरे आयोग का गठन क्यों किया गया। पूर्व में महाधिवक्ता ने कहा था कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की जांच रिपोर्ट जस्टिस एसके मुखोपाध्याय के पास से राज्य सरकार को प्राप्त हो गई है। अब इस पर अग्रतर करवाई की जाएगी।
पूर्व में विधानसभा सचिव की ओर से शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करते हुए अदालत को बताया कि उन्हें विक्रमादित्य प्रसाद की जांच रिपोर्ट की प्रति प्राप्त नहीं हुई है। इसके लिए उन्होंने जस्टिस एसके मुखोपाध्याय को पत्र लिखा है। सचिव द्वारा लिखे गए पत्र की प्रति भी जवाब में लगाई गई थी।
बता दे कि वर्ष 2005 से 2007 के बीच झारखंड विधानसभा में नियुक्ति हुई थी। उस नियुक्ति में अनियमितता की बात सामने आई थी। उसके बाद इस मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद को जांच का जिम्मा सौंपा गया था । उन्होंने जांच कर रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दिया था। उसके बाद राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को इस पर एक्शन लेने के लिए निर्देश दिया था। लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हो सकी कार्रवाई नहीं होने के बाद याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा ने जनहित याचिका दायर की है। जिस पर सुनवाई जारी है।
झारखंड विधानसभा नियुक्ति में अनियमितता पर सरकार से जवाब तलब, पूछा कमेटी गठन कैसे हुआ, जाने क्या है पूरा मामला……
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