झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में सोमवार को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी झारखंड को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के मामले में बार एसोसिएशन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान ने राज्य सरकार के अधिकारी के कार्य प्रणाली पर नाराजगी व्यक्त की है। इसके साथ ही राज्य सरकार से कई बिंदुओं पर जवाब तलब किया है। जिसको शपथपत्र के माध्यम से जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। अदालत ने सरकार पूछा कि यूनिवर्सिटी के द्वारा जब पुलिस पोस्ट बनाने के लिए 30 डिसमिल जमीन दी गई तो अभी तक उस पर निर्माण कार्य क्यों नहीं हो सका। विश्वविद्यालय के बगल में बिजली सब स्टेशन का निर्माण कर दिया गया है, लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी उसे ऑपरेशनल नहीं किया गया है। उसमें लाइन नहीं दिया गया है.. क्यों नहीं दिया गया है और कब तक दिया जाएगा। इस पर इंस्ट्रक्शन लेकर जवाब दायर करने को कहा है।
अदालत ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि विश्वविद्यालय के सामने वाले जो 6 एकड़ जमीन राज्य सरकार के द्वारा दिया गया है। उस पर राज्य सरकार चहारदीवारी खड़ा करेगा या नहीं। इस पर इंस्ट्रक्शन लेकर जवाब देने को कहा है। इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई की तारीख चार अप्रैल निर्धारित की है। मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने अदालत को बताया कि पुलिस पोस्ट के लिए राज्य सरकार के द्वारा टेंडर कर दिया गया है। कार्य आदेश भी मिल गया है। अक्टूबर तक पोस्ट का निर्माण कर लिया जाएगा। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि राज्य सरकार ने उसे 7 एकड़ कम जमीन दी गई है। इसमें से कुछ जमीन सड़क में भी चली गई है। अदालत ने राज्य सरकार को इस पर भी जवाब देने को कहा है।
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