केंद्र और राज्य सरकार पर लगाई गई जुर्माने के आदेश को भी रखा बरकरार
हाईकोर्ट में मंगलवार को जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद एवं जस्टिस एके राय की खंडपीठ में रांची जिले के मांडर के चान्हो में बनने वाले एकलव्य स्कूल के लिए चयनित स्थान को दूसरी जगह बदलने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिल रूप से कहा कि किसकी इजाजत से एकलव्य स्कूल का शिलान्यास स्थल को बदलकर नई जगह का निर्माण का निर्णय लिया गया। राज्य में कानून का राज चलेगा या उपद्रवियों का चलेगा। मामले में केंद्र एवं राज्य सरकार की ओर से दाखिल जवाब पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताई। केंद्र और राज्य सरकार पर लगाई गई जुर्माने की राशि 25-25 हजार रुपए में किसी प्रकार कोई राहत नहीं दी। इसके साथ ही पूर्व के आदेश को बरकरार रखा गया। अदालत ने 20 फरवरी को यह जुर्माना लगाया था।
हाईकोर्ट ने पूछा स्कूल निर्माण कर रही कंपनी दूसरी जगह स्कूल भवन बना रही है, क्या उसे अधिकार है कि वह जगह बदल सके। पूर्व में पुराने स्थल पर जहां स्कूल बन रहा था। वहां बाउंड्री वॉल तोड़ा गया, उसका खर्च कौन उठाएगा। अगर केंद्र सरकार इस खर्च को वहन नहीं कर रही है तो राज्य सरकार किसके पैसे से उसका भुगतान करेगी। डीपीआर बनाने के बाद केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के द्वारा वहां शिलान्यास किया गया था। राज्य सरकार ने उसके लिए जगह चिन्हित कर जमीन दी थी। इसके बाद नई जगह पर एकलव्य स्कूल बनाने का निर्णय क्यों लिया गया।कोर्ट ने मामले में केंद्र व राज्य सरकार के जवाब पर प्रार्थी को अपना प्रतिउत्तर देने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की है।
दरअसल, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि मांडर में एकलव्य स्कूल के लिए जो सबसे पहले जगह चयनित हुआ है, उसी जगह पर स्कूल बनाया जाए। मांडर जिला के चान्हो में एकलव्य स्कूल बनाने के लिए राज्य सरकार ने 52 एकड़ जमीन दी थी। इसके लिए केंद्र सरकार से 5.23 करोड़ रुपए फंड भी आवंटित किया है। लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा उस स्कूल का स्थान बदलने के लिए हंगामा किया गया था। जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि असामाजिक तत्वों के खिलाफ क्या-क्या एक्शन लिया गया और स्कूल के चयनित स्थान को बदलने के क्या-क्या आधार है।