असम सरकार ने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण को लेकर बड़ा फैसला लिया है। दरअसल असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 को निरस्त कर दिया गया है। यह फैसला मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुए कैबिनेट बैठक में ली गयी है। जिसके बाद अब उस कानून के तहत सभी विवाह और तलाक की कार्यवाही को 1954 के विशेष विवाह अधिनियम के दायरे में स्थानांतरित कर दिया गया। निरस्त अधिनियम के तहत 94 मुस्लिम रजिस्ट्रारों को पद मुक्त कर दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें एकमुश्त ही 2 लाख का भुगतान की जाएगी। अब इस फैसले के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो चुकी है। असम कैबिनेट मंत्री जयंत मल्लबारुआ ने इस फैसले को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है। विधानसभा में अधिनियम को निरस्त करने का विधेयक पारित हो जाने के बाद, जिला आयुक्त और रजिस्ट्रार मुस्लिम विवाह और तलाक के मामलों को दर्ज करेंगे। इस निर्णय से बाल विवाह पर भी रोक लगेगी।