झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने सोमवार को राज्य और केंद्र सरकार को चार माह के अंदर 10 वर्षों से अधिक से राज्य एवं केंद्र सरकार के विभिन्न संस्थाओं में अंशकालिक रूप से अस्थाई रूप से कार्य कर रहे कर्मचारियों की सेवा नियमितीकरण करने का आदेश दिया है। अदालत ने पूर्व में याचिकाओं की सुनवाई पश्चात आदेश सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाया। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार के विभिन्न विभाग ऐसे मामलों में निर्णय लेने के लिए एक कमेटी का गठन करें। समिति सुप्रीम कोर्ट में उमा देवी के दिए गए आदेश के आलोक में झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एनएन तिवारी द्वारा दिए गए आदेश और राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमितीकरण नियम के तहत निर्णय लेने को कहा है। अदालत ने प्रार्थी को एक माह के अंदर संबंधित विभाग में अभिव्यावेदन देने को कहा गया है। अभ्यर्थी के अभ्यावेदन पर सरकार को चार माह के अंदर निर्णय लेकर प्रार्थी को अवगत करना होगा। प्रार्थी अगर विभाग के फैसला से असन्तुष्ट है तो वह फिर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकता है। अदालत ने इससे जुड़े सभी याचिकाओं को निष्पादित कर दिया है।
कोर्ट ने सेवा नियमितीकरण से संबंधित लगभग 69 याचिका को एक साथ सूचीबद्ध करके सुनवाई की थी। सुनवाई दौरान सभी पक्षों को सुनने के उपरांत पिछले दिनों सभी प्रक्रिया पूर्ण करते हुए फैसले को सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को अदालत ने अपना फैसले को सुनाया। बता दें कि पूर्व में राज्य सरकार और केंद्र सरकार के विभिन्न संस्थाओं में अंशकालिक रूप से संविदा पर अस्थाई रूप से कार्य कर रहे कर्मचारियों ने सेवा नियमितीकरण की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। उमा देवी केस में सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश है कि अगर कोई कर्मचारी 10 वर्ष या उससे अधिक समय से अगर सेवा दे रहा है, तो उसे पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए उसका नियमितीकरण किया जाना चाहिए। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स, सुमित गड़ोदिया, मनोज टंडन, इंद्रजीत सिन्हा, राधाकृष्ण गुप्ता, पिंकी कुमारी एवं एके साहनी ने पैरवी की ।
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अस्थाई कर्मियों के लिए खुशखबरी : झारखंड हाईकोर्ट का फैसला, केंद्र व राज्य सरकार विभिन्न संस्थाओं में अंशकालीन रूप से अस्थाई कर्मियों को करें नियमितीकरण, दिया चार माह का समय, अदालत ने 69 याचिकाओं पर एक साथ की थी सुनवाई, जाने क्या है पूरा मामला….
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