कोर्ट फीस स्टांप की किल्लत से अधिवक्ताओं व मुवक्किलों की परेशानी एक बार फिर से बढ़ गई है। इस स्थिति में नकल निकलवाने, जमानत अर्जी दाखिल करने, हाजिरी देने समेत अन्य आवेदन में बाधा आ रही है। जमानत के बाद जेल से निकलने के लिए भी बेल बॉण्ड में कोर्ट फीस चस्पा की जाती है। इसके लिए वकीलों और पक्षकारों को टिकट प्राप्त करने के लिए खोजना पड़ता है। जो बड़ी मुश्किल से उपलब्ध हो पाता है।
इस मजबूरी का फायदा उठाया जा रहा है। धड़ल्ले से कोर्ट फीस की कालाबाजारी जारी है। हालांकि ऑनलाइन ई-कोर्ट फी की सुविधा है, लेकिन इस सुविधा का उपयोग एक फीसदी ही लोग कर रहे हैं। एक रुपए के कोर्ट फीस स्टांप के लिए 10 रुपए तक भुगतान करना पड़ता है। बार एसोसिएशन द्वारा कोर्ट फीस को नियमित एवं पर्याप्त कराए जाने की लगातार की जा रही मांग के बाद भी समस्या बढ़ती ही जा रही है। सरकार ने कोर्ट फीस में जबरदस्त बढ़ोतरी तो कर दी है, लेकिन उसकी उपलब्धता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार ई-कोर्ट फी का कालाबाजारी हो रहा है। एक ही ई-कोर्ट फीस का कॉपी करके कई जगह उपयोग हो रहे है।
हर दिन 3000 से अधिक आवेदन पर लगाया जाता स्टांप :
सिविल कोर्ट में प्रतिदिन 3000 से अधिक आवेदनों पर कोर्ट फीस स्टांप लगाया जाता है। किल्लत के कारण हर दिन वकीलों को जूझना पड़ रहा है। कोर्ट फीस टिकट एक, दो, पांच, दस व 20 रुपए का होता है। वही, कोर्ट फीस टिकट जिला प्रशासन द्वारा वेंडर को उपलब्ध कराया जाता है।
यहां जरूरत होती है कोर्ट फीस की :
नकल निकलवाने, हाजिरी देने, अग्रिम या नियमित जमानत अर्जी में, शपथ पत्र, वकालतनामा, उपभोक्ता फोरम, श्रम न्यायालय, राजस्व न्यायालय, वाणिज्यकर न्यायालय समेत अन्य कार्यों में कोर्ट फीस टिकट की जरूरत होती है। इससे सरकार को करोड़ों का राजस्व आता है। जो जनता से सरकार को सीधे प्राप्त होता है।
वर्जन :
अगर जिला प्रशासन कोर्ट फी स्टांप की सुविधा बहाल नहीं करेगा, तो हमलोग भूख हड़ताल पर बैठेंगे। जानकारी के अनुसार कोषागार में एक, दो एवं पांच रुपए का कोर्ट फीस स्टांप है। लेकिन इसका आवंटन नहीं किया जा रहा है। इसको लेकर वकीलों में जबरदस्त आक्रोश है। किल्लत के कारण नकल तक नहीं निकल पा रहा है। काम करना मुश्किल हो रहा है { संजय कुमार विद्रोही (महासचिव, एडहॉक कमेटी आरडीबीए)