झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने इटखोरी मंदिर विकास समिति की ओर से दायर रिट याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। अदालत ने सुनवाई के दौरान झारखंड राज्य धार्मिक न्याय बोर्ड के आदेश को रोक लगा दी। इसके साथ ही निर्देश दिया कि इस याचिका की सुनवाई जब तक हाईकोर्ट में चलेगी, तब तक मंदिर की देख-रेख और वित्तीय अधिकार चतरा के उपायुक्त के पास रहेगा। प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि धार्मिक न्यास बोर्ड ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर बिना किसी स्पष्टीकरण से मंदिर के प्रबंधन नई कमेटी को दे दी है। जो की उनके क्षेत्राधिकार से बाहर है। नई समिति का गठन करने से पूर्व पुरानी कमेटी को (जो कि मंदिर की देखरेख करती है) उसे स्पष्टीकरण देना होता है। जिसके तहत मंदिर का विकास सही तरीके से नहीं हो पा रहा हैं। वही, आगे कोर्ट को बताया गया कि मंदिर का विकास पुरानी कमेटी लगभग 60 वर्षों से करती आ रही है। जानकारी दी गई कि जब माता की मूर्ति चोरी हुई थी, तब भी इसी कमेटी ने दोबारा कोलकाता से लाकर मूर्ति बैठाई थी। जिसपर ना तो कोई स्पष्टीकरण दिया गया और ना बोर्ड के द्वारा कानून का अनुपालन किया गया। इतना ही नहीं कमेटी में राजनीतिक दल के लोगों को नई कमेटी में रखा गया। जबकि पूर्व में उपायुक्त, एसडीओ समेत अन्य मंदिर की देखरेख करते थे।