साहिबगंज में बाल तस्करी से संबंधित एक मामले में आरोपी कुलदेव साह की दो आपराधिक अपीलों में झारखंड हाईकोर्ट ने मामले के जांच अधिकारी को कड़ी फटकाल लगाई। अदालत ने कहा कि जब विधि विज्ञान निदेशालय एवं प्रयोगशाला रांची से बरामद बच्चे की डीएनए रिपोर्ट 12 दिसंबर को प्राप्त हो चुकी थी, जिसमें पुष्टि हो गई थी कि पुलिस ने जिस बच्चे को बरामद किए गए बच्चे का डीएनए पीड़ित पिता से मैच नहीं किया है। यानी बायोलॉजिकल पुत्र नहीं है, तो फिर लापता दोनों बच्चों को खोजने की कार्रवाई क्यों नहीं की गई। अगली सुनवाई में भी जांच अधिकारी को फिर से व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश अदालत ने दिया है। अदालत ने आईओ पर नाराजगी जताते हुए कहा कि तीन सप्ताह में लापता बच्चों को ढूंढा जाए, अन्यथा साहिबगंज एसपी को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होना पड़ेगा। इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अध्यक्षता वाली खंडपीठ कर रही है। खंडपीठ ने पिछले सुनवाई में दो गुमशुदा बच्चों में से बरामद किए गए एक बच्चे के डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट डायरेक्टर फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री, रांची मांगी थी।
क्या है मामला :
दरअसल, कुलदेव साह व वीरेंन साह के खिलाफ परिवादी एम हेंब्रम ने साहिबगंज कोर्ट में अपने बेटे की चाइल्ड ट्रैफिकिंग करने को लेकर कंप्लेंन केस संख्या 148/ 2022 दर्ज कराई थी। उनका बच्चा वर्ष 2018 से लापता है। वहीं बोरियो थाना में कुलदेव साह एवं पप्पू साह के खिलाफ दर्ज कांड संख्या में बी हंसदा ने अपने छोटे भाई की वर्ष 2014 में लापता होने को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
बाल तस्करी मामला : हाईकोर्ट ने जांच अधिकारी को लगाई फटकार, कहा बरामद बच्चे का डीएनए मैच नहीं, तो खोजने की कार्रवाई क्यों नहीं की, जाने क्या है मामला
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