झारखंड हाईकोर्ट में रिटायर्ड आईपीएस अरुण कुमार उरांव ने एक जनहित याचिका दाखिल की है। जिसमें कहा गया है कि मनी लाउंड्रिंग मामले में आरोपियों पर ईडी द्वारा साक्ष्य के साथ राज्य सरकार को सूचना उपलब्ध कराने के बावजूद भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा रही है। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अभय कुमार मिश्रा ने यह जनहित याचिका दाखिल की है। राज्य सरकार को आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य एवं सूचना उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन राज्य सरकार इस पर कोई एक्शन नहीं लेती है। मनी लाउंड्रिंग करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों एवं अन्य आरोपियों के खिलाफ झारखंड सरकार को साक्ष्य एवं सूचना मिलने के बाद भी कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा रही है। राजीव अरुण एक्का, प्रेम प्रकाश समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई से सरकार बचती हैं। ईडी के साक्ष्य एवं सूचनाओं के बाद भी आरोपियों की फाइल को सरकार के अधिकारी दबाकर बैठ जाते हैं। प्रार्थी ने बताया है कि निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम की 36 फेक सेल डिड पकड़ी गई, उनकी कई संपत्तियों को ईडी ने अटैच किया गया । इसके बाद भी पीसी एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। याचिका में कहा गया है कि प्रार्थी ने ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर प्रार्थी ने राज्य के मुख्य सचिव के पास 11 अक्टूबर 2023 को अभ्यावेदन दिया था ,लेकिन उसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इतंजार के बाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई।