सिख दंगा पीड़ितों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा एवं जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान राज्य के गृह सचिव, डीजीपी हाजिर हुए। अदालत ने दोनों से पूछा कि अभी तक इस मामले में जो केस दायर किए गए हैं, उसका फाइनल फॉर्म क्यों नहीं हुआ है। इस पर अधिकारी ने जवाब दिया कि इस मामले में 600 केस दर्ज किए गए हैं। जिसमें अधिकांश का फाइनल फॉर्म हो गया है। शेष मामले में बहुत ही तेजी से मॉनिटरिंग किया जा रहा है। शीघ्र ही पूरा कर लिया जाएगा। अदालत ने मुआवजे के बारे में जानकारी मांगी। जिस पर बताया गया कि बोकारो जिला में फंड के अभाव होने के कारण वहां पर मुआवजे देना प्रारंभ नहीं किया गया है। फंड उपलब्ध उपलब्ध होते ही मुआवजा देना प्रारंभ कर दिया जाएगा। वहीं अन्य तीन जिलों रांची, पलामू और धनबाद में मुआवजा देना प्रारंभ कर दिया गया है। शीघ्र ही पीड़ितों को मुआवजा की राशि उपलब्ध करा दी जाएगी। जिस पर अदालत ने मामले की अगली सुनवाई जनवरी माह में तय करते हुए कहा कि जल्द से जल्द मुआवजा भुगतान करें। सभी केस को फाइनल फॉर्म करें। इससे संबंधित अधिकतम जानकारी अदालत में पेश करने को कहा है। वही मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने प्रार्थी की सुरक्षा की गुहार लगाई। जिसमें कहा कि प्रार्थी की जान माल की क्षति हो सकती है। इसीलिए उन्हें सुरक्षा दी जाए। जिस पर अदालत ने प्रार्थी को जमशेदपुर के एसपी के पास सुरक्षा के लिए आवेदन देने का निर्देश दिया है। यह जनहित याचिका सतनाम सिंह की ओर से दायर की गई है।