राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाले में ट्रायल फेस कर रहे सूबे पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की ओर से निचली अदालत द्वारा आरोप गठित किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने प्रार्थी को आरोप गठन से संबंधित निचली अदालत से प्राप्त दस्तावेजों की नकल कॉपी में हुई त्रुटि को निचली अदालत से सत्यापन कर इसे चार सप्ताह में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने महानिबंधक को भी निर्देश दिया कि वे आरोप गठन के दस्तावेज में त्रुटि के संबंध में मामले की जांच कर लें। मामले की सुनवाई जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की अदालत में हुई। अब अगली सुनवाई जनवरी महीने में किया जाएगा।
मधु कोड़ा पर आरोप
मधु कोड़ा पर आरोप है कि उन्होंने पूर्व में मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए उसका दुरुपयोग किया। हैदराबाद की बिजली कंपनी आईवीआरसीएल के निदेशक डीके श्रीवास्तव राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाला से जुड़ा मामला है। कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए लातेहार, गढ़वा और पलामू सहित छह जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण करने का टेंडर दे दिया गया। इसी मामले की जांच सीबीआई कर रही है। इस मामले में मधु कोड़ा ढाई साल तक जेल में रहे थे। उन्हें 30 जुलाई 2013 को जमानत मिली थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा पर यह भी आरोप है कि उन्होंने फायदे के लिए हैदराबाद की ब्लैक लिस्टेड कंपनी आईवीआरसीएल को काम दिया था। वर्ष 2006 में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण परियोजना के लिए झारखंड को केंद्र से 467.76 करोड़ रुपए मिले थे। इस परियोजना के तहत झारखंड के छह जिलों के 27359 गांवों का विद्युतीकरण किया जाना था। इससे 29.26 लाख परिवारों को सीधे तौर पर लाभ मिलता। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और घोटाले को लेकर सीबीआई जांच सौंपी गई।