इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी कांड में दोषी करार सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को तमाम मामलों से बरी कर दिया है। नोएडा के चर्चित निठारी कांड में सुरेंद्र कोली को 12 और मनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में मिली फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने रद्द किया है। दरअसल हाईकोर्ट ने दोनों दोषियों की 14 अर्जियों पर फैसला सुनाया है। सुरेंद्र कोली ने 12 मामलों में मिली फांसी की सजा के खिलाफ अपील दाखिल की थी। वही, मनिंदर सिंह पंढेर ने दो मामलों में मिली सजा के खिलाफ अर्जी दाखिल की थी। जिसके बाद हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने सीधे तौर पर कोई सबूत और गवाह नहीं होने के आधार पर दोषियों को बरी किया। हालांकि रिंपा हलदर मर्डर केस में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने ही सुरेंद्र कोहली की फांसी की सजा को बरकरार रखा था। इन्हीं सबूतों के आधार पर रिंपा हलदर मर्डर केस में दोनों को फांसी की सजा मिली थी।अर्जियों पर हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने 15 सितंबर को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था। जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस एसएचए रिजवी की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाया है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट की ओर से सुनायी गयी फांसी की सजा को रद्द कर दी है।
इसको बनाया गया आधार सुरेंद्र कोली की मौजूदा बारह में से पहली याचिका साल 2010 में दाखिल की गई थी। हालांकि इन याचिकाओं के अलावा भी हाईकोर्ट कोली की कुछ अर्जियों को निस्तारित कर चुकी है। एक मामले में फांसी की सजा को बरकरार रखा गया है जबकि एक अन्य मामले में देरी के आधार पर उसे उम्र कैद में तब्दील किया जा चुकी है। हाईकोर्ट में 134 कार्य दिवसों में अपील पर सुनवाई हुई थी। आरोपियों की तरफ से कोर्ट में दलील दी कि इस घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। सिर्फ वैज्ञानिक और परिस्थिति जन्य सबूतों के आधार पर उन्हें दोषी ठहराया गया है। जिसके वजह से फांसी की सजा दी गई थी। जिसके बाद फांसी की सजा को रद्द किए जाने की अपील की गयी। मनिंदर सिंह पंढेर एक मामले में हाईकोर्ट से पहले बरी हो चुका थे।